बुराई पर विजय का पर्व दशहरा आज !

दशहरा का पर्व आज 2 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन ही भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी और इसी दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर नाम के दुष्ट राक्षस का वध किया था।

02 अक्टूबर,2025 ! दशहरा का पर्व आज 2 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन ही भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी और इसी दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर नाम के दुष्ट राक्षस का वध किया था।

भारत के हर राज्य में त्यौहार को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। जैसे उत्तर भारत में रावण दहन होता है जिसमें रावण के पुतले जलाए जाते हैं वही बंगाल, असम और उड़ीसा में माँ दुर्गा की पूजा और विसर्जन किया जाता है। दक्षिण भारत में इसे आयुध में पूजा के रूप में मनाया जाता है जिसमें लोग अपने हथियार, साधन, वाहन, कंप्यूटर और मोबाइल जैसे उपकरणों की पूजा करते हैं।

पंचांग के अनुसार आश्विन मास की दशमी तिथि  कल, यानि 1अक्टूबर शाम 7:01 पर शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन आज, 2 अक्टूबर शाम 7:30 पर होगा।

दशहरा दशहरा या विजय दशमी के दिन रावण दहन सदा प्रदोष कल में ही किया जाता है। प्रदोष कल का समय सूर्यास्त के बाद शुरू होता है। रावण दहन आज शाम 6:00 बजे से लेकर  7:10 तक करना उचित होगा।

दशहरे के दिन महिषासुर मर्दिनी माँ दुर्गा और भगवान राम की पूजा करें। इससे संपूर्ण बाधाओं का नाश होगा तथा जीवन में विजय की प्राप्ति होगी। इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करने से पूजित अस्त्र-शस्त्रों से नुकसान नहीं होता है। इसके अलावा नवग्रह को नियंत्रित करने के लिए इस दिन माँ की पूजा की जाती है।

इस दिन सबसे पहले देवी और फिर भगवान राम की पूजा करें। पूजा के बाद देवी और प्रभु राम के मन्त्रों का जाप करें। अगर कलश की स्थापना की है तो नारियल हटा कर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। कलश का जल पूरे घर में छिड़कें, ताकि घर की नकारात्मकता समाप्त हो जाए। जिस जगह अपने नवरात्र पूजा की थी उस स्थान पर रात भर दीपक जलाएँ। अगर आप शस्त्र पूजा करना चाहते हैं उस पर तिलक लगाकर रक्षा सूत्र बाँधें।