
स्टैंडिंग कमेटी ने की DRDO की सराहना: 2.64 लाख करोड़ की बचत और हासिल कीं तकनीकी उपलब्धियाँ !
संसद में प्रस्तुत अपनी पंद्रहवीं रिपोर्ट में रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की अगली पीढ़ी की रक्षा तकनीकों में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल करने और स्वदेशी अनुसंधान के जरिए भारी बचत सुनिश्चित करने के लिए प्रशंसा की।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर 2025 ! संसद में प्रस्तुत अपनी पंद्रहवीं रिपोर्ट में रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की अगली पीढ़ी की रक्षा तकनीकों में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल करने और स्वदेशी अनुसंधान के जरिए भारी बचत सुनिश्चित करने के लिए प्रशंसा की।
रिपोर्ट की सिफारिश सँख्या 17 का उल्लेख करते हुए समिति ने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि DRDO ने पिछले वर्ष और चालू वर्ष में अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक तकनीकों और मिसाइलों के विकास में महत्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल किए हैं। समिति ने यह भी दर्ज किया कि DRDO की स्वदेशी अनुसंधान पहलों ने पिछले पाँच वर्षों में कुल ₹2,64,156 करोड़ की बचत कराने में सक्षम बनाया है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि समिति DRDO की उपलब्धियों से संतुष्ट है और उन्हें पूरा विश्वास है कि उचित वित्तीय सहयोग और कुशल मानव संसाधन उपलब्ध होने पर DRDO जटिल और महत्वपूर्ण तकनीकों के क्षेत्र में अपनी सफल प्रगति जारी रखेगा। इससे देश की स्वदेशी रक्षा अनुसंधान और विकास क्षमताओं को और मजबूती मिलेगी।
रक्षा संबंधी स्थायी समिति की यह पंद्रहवीं रिपोर्ट (2025-26), सरकार द्वारा पिछली समिति की सातवीं रिपोर्ट में की गई टिप्पणियों और सिफारिशों पर उठाए गए कदमों से संबंधित है। इसमें सामान्य रक्षा बजट, बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन, भारतीय तटरक्षक बल, रक्षा एस्टेट संगठन, पूर्व सैनिकों के कल्याण और DRDO से जुड़े विषय शामिल हैं।
वर्तमान में, DRDO ने कई वायु रक्षा प्रणालियाँ सफलतापूर्वक विकसित की हैं, जिनमें QRSAM, QRSAM के उन्नत संस्करण और मीडियम रेंज SAM शामिल हैं। साथ ही, DRDO ‘कुशाग्र’ परियोजना के तहत लंबी दूरी की उन्नत मिसाइल SAM प्रणाली भी विकसित कर रहा है।
इसके अलावा, DRDO ने अपनी एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली (Integrated Air Defence System) को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की सुरक्षा के लिए तैनात किया है, ताकि दुश्मन के हवाई खतरों , जैसे मिसाइल, ड्रोन और तेज़ रफ्तार विमान से क्षेत्र की रक्षा की जा सके।रक्षा मंत्रालय इस परियोजना को ऐसे समय में आगे बढ़ा रहा है जब पाकिस्तान ने मई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत को निशाना बनाने की कोशिश की थी।
भारत अपने दो शेष S-400 सुखोम प्रणाली वाले वायु रक्षा मिसाइल स्क्वाड्रन प्राप्त करने की दिशा में भी काम कर रहा है। साथ ही, भारत रूस के उस प्रस्ताव पर भी विचार कर रहा है जिसमें अधिक S-400 और नई S-500 वायु रक्षा प्रणाली की पेशकश की गई है।
