ग्रीनमैन विरल देसाई ने शुरू किया कोनोकार्पस डिस्ट्रक्शन अभियान
सूरत। पर्यावरणविद् और उद्योगपति विरल देसाई अपने पौधारोपण अभियान के लिए जाने जाते हैं, लेकिन अब वह पेड़ों को नष्ट करने की गतिविधि में शामिल हुए हैं। वे जिन पेड़ों को नष्ट करने की बात कर रहे हैं वे कोनोकार्पस पेड़ हैं, जिनका हमारी जैव विविधता में कोई योगदान नहीं है। विरल देसाई जल्द ही सूरत शहर और दक्षिण गुजरात के विभिन्न इलाकों का दौरा करेंगे और जहां भी कोनोकार्पस के पेड़ पौधे होंगे उन्हें हटाकर उस जगह देशी प्रजातियों और अधिक ऑक्सीजन देने वाले पेड़ लगाए लगाएंगे।
इस अभियान को उन्होंने कोनोकार्पस डिस्ट्रक्शन ड्राइव नाम दिया है। उन्होंने कोनोकार्पस को उखाड़ने और उसकी जगह दो लाख से अधिक देशी और ऑक्सीजन देने वाले पेड़ लगाने का संकल्प किया है। इसके तहत, उन्होंने अपनी पहली ड्राइव सूरत के अमरोली स्थित जीवन ज्योत ट्रस्ट के कॉलेज में की। यहां डॉ. धरित नायक और एनएसएस के छात्रों के साथ मिलकर कोनोकार्पस को हटाया और देशी पेड़ लगाए।
अपनी इस ड्राइव के बारे में विरल देसाई ने बताया कि, ‘मैं 2017 से कह रहा हूं कि कोनोकार्पस अपने यहां की हमारी प्रजाति नहीं है। वैसे मैंने इस बारे में अपने कॉलम में भी लिखा है कि कोनोकार्पस हमारी जैव विविधता के लिए अच्छा नहीं है। लेकिन तब लोगों में कोनोकार्पस के प्रति एक अनोखी दीवानगी थी। हालांकि अब जब गुजरात सरकार ने कोनोकॉर्प्स के बारे में एक सर्कुलर जारी किया है, तो मैं सरकार के फैसले से बहुत खुश हूं और जहां भी मुझसे कहा जाएगा, मैं कोनोकार्पस को हटाने और अच्छे पेड़ लगाने के लिए भी प्रतिबद्ध हूं।’
इस संबंध में विरल देसाई का यह भी कहना है कि कोनोकार्पस को हटाते समय पेड़ को उसकी जड़ों सहित हटाने का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि इसे जड़ों से नहीं हटाया गया तो यह पेड़ फिर से विकसित हो जाएगा और हमारी पर्यावरणीय समस्याएँ वहीं बनी रहेंगी।