ग्राहक कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला : नो-क्लेम बोनस लेने के बावजूद बीमा कंपनी क्लेम चुकाने का जिम्मेदार

स्लग: उपभोक्ता कोर्ट का फैसला – नॉन स्टांडर्ड के तहत क्लेम की 75 फीसदी राशि चुकाने का बीमा कंपनी को आदेश

सूरत. नो-क्लेम बोनस प्राप्त करने के क्लेम के लिए किए गए आवेदन के एक मामले में उपभोक्ता कोर्ट ने ग्राहक के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने झूठे तरीके से नो क्लेम बोनस लेने के बावजूद बीमा कंपनी को नॉन स्टांडर्ड के तहत क्लेम की 75 फीसदी राशि चुकाने को जिम्मेदार मानते हुए क्लेम की राशि ब्याज समेत चुकाने का बीमा कंपनी को आदेश दिया है।

अधिवक्ता श्रेयस देसाई के मुताबिक, उनके मुवक्किल चंदू आहिर ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ उपभोक्ता कोर्ट में शिकायत की थी। चंदू ने बीमा कंपनी से अपनी कार की बीमा पॉलिसी खरीदी थी। इस दौरान उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई और 34,286 रुपए का नुकसान हुआ था। नुकसान की राशि पाने के लिए उन्होंने बीमा कंपनी के समक्ष क्लेम किया था, लेकिन बीमा कंपनी ने यह करते हुए क्लेम चुकाने से इनकार कर दिया था कि बीमाधारक ने बीमा पॉलिसी लेते समय नो-क्लेम बोनस प्राप्त किया था। मामला उपभोक्ता कोर्ट में पहुंचने पर अधिवक्ता प्राची देसाई और ईशान देसाई ने दलीलें पेश की कि बीमा धारक ने जब पॉलिसी खरीदी थी तो पिछले वर्ष की बीमा पॉलिसी संबंधित जानकारी बीमा कंपनी ने हासिल की थी। पिछले वर्ष क्लेम किया गया था या नहीं इसकी जांच करने की जिम्मेदारी बीमा कंपनी की थी, लेकिन बीमा कंपनी ने यदि यह जांच नहीं की तो यह बीमा कंपनी की गलती है। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की दलीलों को ध्यान में रखते हुए बीमा कंपनी के खिलाफ की शिकायत अंशत: मंजूर करते हुए नॉन-स्टांडर्ड नीति के तहत क्लेम की 75 फीसदी राशि यानी 25,715 रुपए सालाना सात फीसदी ब्याज के साथ चुकाने का बीमा कंपनी को आदेश दिया।