वेटिंग पीरियड के बहाने क्लेम चुकाने से इनकार करने वाली बीमा कंपनी को झटका
उपभोक्ता कोर्ट ने क्लेम की राशि ब्याज समेत चुकाने का दिया आदेश
सूरत. मेडिक्लेम के एक मामले में वेटिंग पीरियड के बहाने क्लेम चुकाने से इनकार करने वाली बीमा कंपनी को उपभोक्ता कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने बीमा धारक की शिकायत अर्जी मंजूर करते हुए क्लेम की राशि 42,900 रुपए ब्याज समेत चुकाने का बीमा कंपनी को आदेश दिया है।
अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता घनश्याम प्रजापति के मुताबिक, उनके मुवक्किल रसिक प्रभु चीहला ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी और स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता कोर्ट में शिकायत की थी। दरअसल रसिक ने बीमा कंपनी से मेडिक्लेम पॉलिसी खरीद थी। उसके बाद उन्हें बुखार आने पर अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। उपचार पर खर्च हुए 42,900 रुपए का उन्होंने बीमा कंपनी के समक्ष क्लेम पेश किया था। बीमा कम्पनी ने वेटिंग पीरियड का कारण देते हुए कहा कि पॉलिसी खरीदने के 30 दिन पूरे होने से पहले पॉलिसी धारक को बीमारी संबंधित समस्या शुरू हो गई थी और पॉलिसी की शर्त के मुताबिक वेटिंग पीरियड में बीमारी के उपचार पर खर्च का क्लेम नहीं चुकाया जाता। बीमा कंपनी ने क्लेम नामंजूर कर दिया था। मामला उपभोक्ता कोर्ट में पहुंचने पर अधिवक्ता घनश्याम प्रजापति ने दलीलें पेश करते हुए कहा कि वेटिंग पीरियड के 30 दिन पूरे होने से पहले उनका मुवक्किल स्वस्थ था और नौकरी पर जा रहा था। उन्होंने इसके सबूत भी कोर्ट के समक्ष पेश की। अंतिम सुनवाई के बाद अभियोजन पक्ष की दलीलें और पेश किए गए सबूतों को ध्यान में रखते हुए बीमा कंपनी के खिलाफ की शिकायत अर्जी मंजूर कर ली और क्लेम की राशि 42,900 रुपए अर्जी दायर करने की तारीख से सालाना आठ फीसदी ब्याज के साथ चुकाने का बीमा कंपनी को आदेश दिया।