यदि आपने भी अपनी फैक्ट्री या दुकान लिया है बीमा तो आपके लिए यह खबर जरुरी है

सूरत: तीन साल पहले वापी की एक दुकान में लगी भीषण आग की घटना में सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर क्लेम की राशि काटना बीमा कंपनी को महंगा पड़ गया। कोर्ट ने बीमाधारक की शिकायत याचिका मंजूर करते हुए बीमा कंपनी को गलत तरीके से काटी हुई क्लेम की राशि 47.41 लाख रुपए ब्याज समेत चुकाने का आदेश दिया।

वापी की क्लासिक कलेक्शन के संचालक बिमल शाह ने अधिवक्ता श्रेयस देसाई और ईशान देसाई के जरिए रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ ग्राहक कोर्ट में शिकायत दायर की थी। बिमल शाह ने अपनी दुकान का 1.20 करोड़ रुपए का बीमा कवच बीमा कंपनी से खरीदा था। 21 मार्च 2020 को उनकी दुकान में भीषण आग लग गई थी जिसपर करीब पांच घंटे की मशक्कत के बाद काबू पाया गया था। घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस और फॉरेंसिक विभाग की टीम मौके पर पहुंची थी। उनके पंचनामा के मुताबिक 1.27 करोड़ रुपए के नुकसान हुआ था। बीमा कंपनी को जानकारी देने पर बीमा कंपनी ने सर्वेयर की नियुक्ति की थी। सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर बीमा कंपनी ने 79,38,675 का ही क्लेम मंजूर किया था। यही नहीं दबाव बनाकर बीमा कंपनी ने बिमल शाह से डिस्चार्ज वाउचर पर भी हस्ताक्षर करवा लिए थे। मामला ग्राहक कोर्ट में पहुंचने पर अधिवक्ता श्रेयस देसाई ने दलीलें पेश कर साबित कर दिया कि बीमा कंपनी नेक्लेम की राशि गलत तरीके से काटी है। बीमा कंपनी अपना पक्ष साबित करने में विफल रही। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने शिकायत याचिका मंजूर कर ली और बीमा कंपनी को क्लेम की काटी हुई राशि 47.41 लाख रुपए ब्याज समेत चुकाने का आदेश दिया।