सूरत. दस लाख रुपए की रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी के पार्षद विपुल सुहागिया को कोर्ट से राहत नहीं मिली। शुक्रवार को कोर्ट ने सुनवाई के बाद सुहागिया की जमानत अर्जी पर फैसला सुनाते हुए अर्जी नामंजूर कर दी।
पे एंड पार्क के ठेकेदार से दस लाख रुपए की रिश्वत मांगने को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने आप पार्षद विपुल सुहागिया और जितेन्द्र काछडिया के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया है। फिलहाल दोनों पार्षद न्यायिक हिरासत में हैं। सुहागिया ने नियमित जमानत के लिए कोर्ट में अर्जी दायर की थी। सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की ओर से दलीलें पेश की गई कि आरोपी को झूठे मामले में फंसाया गया है। आठ महीने देरी से शिकायत दर्ज की गई है। आरोपी ने जांच में पूरा सहयोग किया है और जब भी कोर्ट को बुलाएगी तब हाजिर रहेंगे। जबकि अभियोजन पक्ष की ओर से मुख्य लोक अभियोजक नयन सुखड़वाला ने दलीलें पेश करते हुए कहा कि आरोपी पर रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप है। आरोपी के खिलाफ अन्य अर्जियां भी मिली है,जिनकी जांच जारी है। मोबाइल फोन से भी कुछ तथ्य मिले हैं, जिसे लेकर भी जांच करनी है। इस मामले में नए आरोपियों के नामों का खुलासा हो सकता है तब पूछताछ के लिए आरोपी की पुलिस हिरासत जरूरी है। वहीं, आरोपी पार्षद के तौर पर एक जिम्मेदार व्यक्ति है और जांच फिलहाल नाजुक स्तर पर है। ऐसे में आरोपी को जमानत पर रिहा करना न्यायोचित नहीं होगा। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद शुक्रवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए जमानत अर्जी नामंजूर कर दी।