
इंस्टीट्यूट संचालकों से रंगदारी मांगने के आरोप में गिरफ्तार एनएसयूआई से जुड़े आरोपियों की जमानत अर्जी नामंजूर
सूरत. फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाकर देने का आरोप लगाकर दो इंस्टीट्यूट के संचालकों से एक करोड़ रुपए की रंगदारी मांगने के मामले में गिरफ्तार एनएसयूआई से जुड़े पांचों आरोपियों को कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया। रिमांड खत्म होने के बाद आरोपियों की ओर से पेश की गई जमानत अर्जी कोर्ट ने नामंजूर कर दी।
रेड एंड व्हाइट मल्टी मीडिया एज्युकेशन क्रिएटीव डिजाइन एंड मल्टी मीडिया इंस्टीट्यूट के संचालकों ने एनएसयूआई से जुड़े रवि रामजी उछरीया, प्रित वाघेश चावड़ा, धीरेन्द्रसिंह महेन्द्रसिंह सोलंकी, मितेश धीरू हडीया, तुषार गोपाल मकवाणा, अभिषेक चौहाण और किशोरसिंह डाभी के खिलाफ पुलिस में शिकायत की थी। जिसमें उन्होंने बताया था कि आरोपियों की ओर से उन पर फर्जी मार्कशीट और फर्जी डिग्री देने का आरोप लगाया जा रहा है। वे इस तरह उन्हें बदनाम कर जेल की सलाखों के पीछे भेजने की धमकी दे रहे हैं। मामले को रफा-दफा करने के एवज में एक करोड़ रुपए की रंगदारी मांग रहे थे। बाद में 60 लाख रुपए में सौदा तया हुआ और डेढ़ लाख रुपए आरोपियों ने ले लिए हैं। शिकायत के बाद पुलिस ने अन्य पांच लाख रुपए लेते हुए पांच आरोपियों रवि उछारीया, प्रित चावडा, धीरेन्द्रसिंह सोलंकी, मितेश हडीया और तुषार मकवाणा को गिरफ्तार कर लिया था। कोर्ट ने 24 फरवरी तक आरोपियों के रिमांड मंजूर किए थे। सोमवार को रिमांड पूरे होने पर पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया। जिसके बाद पांचों आरोपियों ने कोर्ट के समक्ष जमानत अर्जी पेश की। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से अधिवक्ता याह्या एम.शेख, जकी एम.शेख और इस्माइल ए.शेख ने दलीलें पेश कर अर्जी का विरोध किया। उन्होंने अपनी दलीलों कहा कि आरोपी विद्यार्थी संगठन से जु़ड़े हुए हैं। उन्होंने अपनी पद का दुरुपयोग कर शिकायकर्ता से एक करोड़ रुपए की रंगदारी मांगी है। जब विद्यार्थियों के प्रतिनिधि के तौर पर खड़े होने के बाद इस तरह की करतूत कोई करता हो तो ऐसे आरोपियों को जमानत देेना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने अंतिम सुनवाई के बाद आरोपियों के खिलाफ प्रथमदृ्ष्टया मामला होने का मानते हुए पांचों की जमानत अर्जी नामंजूर कर दी।