इरादतन हत्या का मामला मानते हुए कोर्ट ने दोषी को दो साल की कैद की सजा सुनाई

– किराए को लेकर हुई मारपीट में ऑटो चालक की हुई थी मौत
– पुलिस ने दो आरोपियों के खिलाफ दर्ज किया था हत्या का मामला

सूरत.किराए को लेकर हुए विवाद और मारपीट में हुई ऑटो चालक की मौत के मामले में कोर्ट ने वारदात को हत्या के बजाए गैर इरदातन हत्या का मामला मानते हुए आरोपी को दो साल की कैद की सजा सुनाई है।

प्रकरण के अनुसार, वर्ष 2003 में सचिन जीआइडीसी निवासी आरोपी शीलू प्रताप केवट और अभिनंदन उर्फ अमन के खिलाफ पांडेसरा थाने में हत्या का मामला दर्ज हुआ था। आरोप के मुताबिक, दोनों संतोष ठाकुर के ऑटो में सवार हुए थे। पांडेसरा आने पर संतोष ने उन्हें ऑटो से उतार कर पांच पांच रुपए किराए की मांग की थी, लेकिन वे तीन – तीन रुपए ही किराया दे रहे थे। जिससे उनके बीच झगड़ा शुरू हो गया। जिसमें आरोपियों ने संतोष की पिटाई की और संतोष वहीं पर बेहोश हो गया था। उसे अस्पताल ले जाने पर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित किया था। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट पेश की, लेकिन सुनवाई से पहले जमानत पर रिहा हुआ आरोपी अमन फरार हो गया था, जिससे कोर्ट ने आरोपी शिलुप्रताप के खिलाफ मामला चलाने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त लोक अभियोजक राजेश डोबरिया ने दलीलें पेश और आरोप साबित करने में सफल रहे। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले को हत्या के बजाए गैर इरादतन हत्या का मामला मानते हुए दो साल की कैद और दस हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।

– आरोपी के पश्चाताप को देख कोर्ट ने दिया प्रोबेशन का लाभ
कोर्ट ने मामले के बजाए गैर इरादतन हत्या का मामला मनाने के साथ ही दोषी शीलू प्रताप को जेल भेजने के बजाए उसे प्रोबेशन का लाभ दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी का इरादा हत्या करने का नहीं था। घटना के बाद उसने पश्चाताप व्यक्त करने के साथ मृतक के परिजनों को मुआवजे के तौर साढ़े चार लाख रुपए चुकाए थे। अभियोजन पक्ष ने भी रुपए स्वीकारते हुए भविष्य में किसी तरह की अपील नहीं करने की तैयारी दिखाई। ऐसे में आरोपी को न्यायोचित सजा सुनाने के साथ ट्रायल के दौरान आरोपी ने जेल में काटे समय को देखते हुए उसे प्रोबेशन का लाभ देना उचित माना।