आठवीं की छात्रा के अपहरण – गैंगरेप के दोषियों को आजीवन कारावास
– वर्ष 2018 में सामने आई थी घटना
– स्कूल के बाहर से मोटरसाइकिल पर छात्रा का अपहरण कर डभारी बीच ले जाकर किया मारपीट कर किया था सामूहिक बलात्कार
सूरत। आठवीं की छात्रा का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार करने के छह साल पुराने मामले में पॉक्सो एक्ट मामलों की विशेष अदालत ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 25 – 25 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।
अतिरिक्त लोक अभियोजक एसके गोहिल के मुताबिक, मामला वर्ष 2018 में सामने आया था। परवत पाटिया स्थित सुभाष नगर सोसायटी निवासी आरोपी योगेश नामदेव पाटिल और कतारगाम विशाल नगर सोसायटी निवासी किशन भरत वाटुकिया ने आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली 14 वर्षीय छात्रा का स्कूल के गेट के पास से मोटरसाइकिल पर अपहरण कर लिया था। उसके बाद वे उसे ओलपाड तहसील में डभारी समुद्र किनारे ले गए थे। यहां जबरन छात्रा के साथ तस्वीरें खींची थी। उसके बाद उसे सुनसान जगह ले जाकर बलात्कार करने का प्रयास किया था, लेकिन किशोरी के प्रतिकार करने पर आरोपियों ने पत्थर से किशोरी को घायल कर दिया था और बारी बारी से उसके साथ बलात्कार किया था। मूर्छित अवस्था में छात्रा के मिलने के बाद उसे अस्पताल ने भर्ती करवाया गया था। उधर, पुलिस ने अपहरण, बलात्कार और पॉक्सो एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। चार्जशीट पेश होने के बाद से मामले की सुनवाई पॉक्सो एक्ट मामलों की विशेष अदालत में चल रही थी। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त लोक अभियोजक एसके गोहिल आरोपों को साबित करने में सफल रहे। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोपी योगेश पाटिल और किशन वाटुकिआ को अपहरण, बलात्कार और पॉक्सो एक्ट की धाराओं के उल्लंघन के तहत दोषी मानते हुए आजीवन कारावास और 25-25 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
– 65 दिन अस्पताल में रही छात्रा
सामूहिक बलात्कार का शिकार हुई किशोरी मूर्छित अवस्था में मिलने के बाद उसे पहले निजी और उसके बाद सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया था। 65 दिनों तक छात्रा अस्पताल में भर्ती रही थी। जब वह कुछ दिनों बाद होश में आई तो उसने उसके साथ हुई दारिंगदी पुलिस और परिवार के सामने बयां की थी।
– पेड़ों – पत्तों और आरोपियों के कपड़ों से मिले खून के दाग बने अहम सबूत
सामूहिक बलात्कार के बाद आरोपी फरार हो गए थे। पुलिस ने मौका ए वारदात पर पंचानमा किया था और एफएसएल की टीम ने पेड़ और पत्तों पर लगे खून के नमूने लिए थे। जब पुलिस ने जांच की तो आरोपियों के कपड़ों पर मिले खून के धब्बे छात्रा के खून मैच कर गए। साथ ही अन्य मेडिकल जांच के सबूत और पीड़िता के बयान आरोपियों को सजा दिलाने में अहम साबित हुए।