बीमाधारक का उपचार डॉक्टर पुत्र ने किया इसलिए बीमा कंपनी क्लेम चुकाने से इनकार नहीं कर सकती
ग्राहक कोर्ट ने बीमा कंपनी को क्लेम की राशि ब्याज समेत चुकाने का दिया आदेश
सूरत। बीमाधारक का उपचार उसीके डॉक्टर पुत्र ने किया हो तब भी बीमा कंपनी क्लेम चुकाने से इनकार नहीं कर सकती यह मानते हुए ग्राहक कोर्ट ने बीमाधारक के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने शिकायत अर्जी मंजूर करते हुए बीमा कंपनी को क्लेम की राशि ब्याज समेत चुकाने का आदेश दिया है।
अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता नरेश नावडिया के मुताबिक, उनके मुवक्किल सुशीला शाह ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ ग्राहक कोर्ट में शिकायत की थी। सुशीला शाह ने अपने परिवार के लिए मेडिक्लेम पॉलिसी खरीदी थी। पॉलिसी की लागू अवधि के दौरान सुशीला के पति बीमार हुए और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। वे जिस अस्पताल में भर्ती हुए थे उसी अस्पताल में उनका पुत्र डॉक्टर है। पुत्र समेत अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों ने उपचार किया था। उपचार पर खर्च हुए 1.16 लाख रुपए का क्लेम बीमा कंपनी के समक्ष रखा गया लेकिन उपचार करने वाला खुद बीमाधारक पुत्र था इस वजह से बीमा कंपनी ने क्लेम चुकाने से इनकार कर दिया था। मामला ग्राहक कोर्ट में पहुंचने पर अधिवक्ता नरेश नावडिया और जिग्नेश हरियाणी ने अभियोजन पक्ष की ओर से दलीलें पेश करते हुए कहा कि उनके एक पुत्र अस्पताल में नौकरी करते हैं, ना की उनकी अस्पताल है। वहीं, उपचार सिर्फ उनके पुत्र अकेले ने नहीं किया है, बल्कि अन्य डॉक्टर भी शामिल थे। ऐसे में क्लेम नामंजूर करना यह बीमा कंपनी की ग्राहक सेवा में खामी है। दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की दलीलों से सहमत होते हुए बीमा कंपनी के खिलाफ की अर्जी मंजूर कर ली और क्लेम की राशि 1.16 लाख रुपए सालाना नौ फीसदी ब्याज के साथ चुकाने का आदेश दिया।