सूरत। पश्चिम बंगाल की अनाथ किशोरी से देहव्यापार करवाने के एक मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आरोपियों को पॉक्सो एक्ट और अपहरण की धारा के तहत दोषी करार देते हुए दो जनों को 20-20 साल की कैद और महिला आरोपी को सात साल की कैद की सजा सुनाई है।
अतिरिक्त लोक अभियोजक दीपेश दवे के मुताबिक, पीड़ित किशोरी पश्चिम बंगाल की निवासी है और वह अनाथ है। उसका सोएब नाम के युवक के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था। इस दौरान सोएब का दोस्त जमील उर्फ जमाल फजलू मंडल ने किशोरी को अहमदाबाद बुलाया। किशोरी जब अहमदाबाद पहुंची तो जमील ने किशोरी को स्पा चलाने वाले अरविंद पारेख नाम के व्यक्ति को सौंप दिया। दोनों किशोरी से देहव्यापार करवाते थे। किशोरी ने दोनों पर बलात्कार करने का भी आरोप लगाया था। इसके कुछ दिन बाद किशोरी को उसके गांव पहुंचाने का झांसा देकर सूरत रांदेर निवासी सलीमा उर्फ सानिया सैफुद्दीन सरदार सूरत लेकर आई और वह भी किशोरी से देहव्यापार करवाने लगी। इस दौरान कापोद्रा पुलिस ने देहव्यापार के नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था और किशोरी को मुक्त करवाया था। चार्जशीट पेश होने के बाद से मामले की सुनवाई पॉक्सो एक्ट मामलों की विशेष अदालत में चल रही थी। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त लोक अभियोजक दीपेश दवे आरोपों को साबित करने में सफल रहे। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने ट्रैफिक इमोरल के अपराध में पर्याप्त सबूत नहीं होने पर आरोपियों को बरी कर दिया लेकिन आरोपी जमाल और अरविंद पारेख को पॉक्सो एक्ट के उल्लंघन के लिए दोषी मानते हुए 20-20 साल के कठोर कारावास और महिला आरोपी सलीमा उर्फ सानिया को अपहरण के लिए दोषी मानते हुए सात साल की कैद की सजा सुनाई।