
AURO विश्वविद्यालय ने मूल्य-आधारित नेतृत्व की दृष्टि को सुदृढ़ करते हुए गर्व के साथ अपना 13वाँ दीक्षांत समारोह आयोजित किया
सूरत, 29 दिसंबर 2025: AURO विश्वविद्यालय ने शुक्रवार, 27 दिसंबर 2025 को अपने 13वें दीक्षांत समारोह का गरिमामय आयोजन किया। इस अवसर पर बिज़नेस, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, डिज़ाइन, हॉस्पिटैलिटी, विधि, लिबरल आर्ट्स एंड ह्यूमन साइंसेज़ तथा जर्नलिज़्म एंड मास कम्युनिकेशन—इन 07 स्कूलों के कुल 313 स्नातकों की उपलब्धियों का उत्सव मनाया गया। यह समारोह श्री अरविंद एवं द डिवाइन मदर की प्रेरणा से संचालित समग्र, समन्वित एवं परिवर्तनकारी शिक्षा प्रदान करने की विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि करता है।
प्रेरणादायक संबोधन में माननीय प्रोवोस्ट प्रो. परिमल एच. व्यास ने “विकसित भारत 2047 के लिए ग्लोकल आर्किटेक्चर” विषय पर विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि भारत की विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा स्थानीय ज्ञान में निहित रहते हुए वैश्विक श्रेष्ठ प्रथाओं को अपनाने से ही संभव है। उन्होंने कहा, “AURO विश्वविद्यालय श्री अरविंद से प्रेरित समन्वित शिक्षा की परिकल्पना करता है, जो अमृत पीढ़ी के शिक्षार्थियों को मूल्यों के मार्गदर्शन में आत्म-विकास से राष्ट्र-निर्माण तक के नेतृत्व हेतु तैयार करती है।” उन्होंने स्नातकों से आत्मनिर्भर, समावेशी विकसित भारत@2047 के लिए वैश्विक उत्कृष्टता और भारत की आत्मा का समन्वय करते हुए ‘ग्लोकल आर्किटेक्ट’ बनने का आह्वान किया।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में संस्थापक अध्यक्ष एवं कुलाधिपति श्री हसमुख पी. रामा ने AURO विश्वविद्यालय की मूल दर्शन को दोहराया। स्नातकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “सच्ची शिक्षा केवल दक्षता ही नहीं, बल्कि चरित्र और चेतना का भी निर्माण करती है,” और तकनीक एवं AI-प्रेरित विश्व में स्पष्टता, ईमानदारी और उद्देश्य के साथ नेतृत्व करने के लिए युवाओं को प्रेरित किया। भारत की संस्कृति पर गर्व करने और दूसरों को उन्नत करने का संदेश देते हुए उन्होंने कहा, “जब युवा आगे बढ़ता है, तब भारत आगे बढ़ता है।”
श्री रामकृष्ण एक्सपोर्ट्स प्रा. लि. (SRK) तथा श्री रामकृष्ण नॉलेज फाउंडेशन (SRKKF) के संस्थापक एवं चेयरमैन एमेरिटस श्री गोविंदजीभाई धोलकिया इस अवसर के मुख्य अतिथि रहे और उन्होंने दीक्षांत संबोधन दिया। संवादात्मक और प्रेरक शैली में उन्होंने छात्रों को व्यक्तिगत सफलता को राष्ट्रीय प्रगति से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, “अब तक आपको सुरक्षा और मार्गदर्शन मिला है। अब जिम्मेदारी आपकी है। डिग्रियाँ मदद करती हैं, लेकिन सफलता को परिभाषित ईमानदार प्रयास ही करते हैं।” अपने जीवन दर्शन को साझा करते हुए उन्होंने कहा, “मैं कुछ नहीं हूँ, लेकिन कुछ भी कर सकता हूँ। समस्या प्रगति है,” और छात्रों से अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलने, तकनीक से अधिक मानवता को महत्व देने तथा “अपने कार्य से स्वयं को एक ब्रांड बनाने” का आग्रह किया।
कुल 313 छात्रों को डिग्रियाँ प्रदान की गईं, जिनमें 02 डॉक्टरेट डिग्रियाँ, 49 स्नातकोत्तर डिग्रियाँ (06 पीजी डिप्लोमा सहित) तथा 262 स्नातक डिग्रियाँ शामिल हैं। स्कूल ऑफ बिज़नेस से सर्वाधिक 141 छात्र (32 स्नातकोत्तर और 109 स्नातक) रहे। इसके बाद स्कूल ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से 76, लिबरल आर्ट्स एंड ह्यूमन साइंसेज़ से 24, हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट से 23, विधि से 22, डिज़ाइन से 20 तथा जर्नलिज़्म एंड मास कम्युनिकेशन से 05 स्नातक रहे।
32 मेधावी रैंकधारकों को कुल 14 स्वर्ण पदक (14 छात्राएँ और 05 छात्र) तथा 18 रजत पदक (11 छात्राएँ और 07 छात्र) प्रदान किए गए। 21 पदक छात्राओं द्वारा प्राप्त किए गए, जो AURO विश्वविद्यालय की समावेशन और लैंगिक समानता के प्रति सशक्त प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, स्कूल ऑफ बिज़नेस के 02 शोधार्थियों को डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (Ph.D.) की उपाधि प्रदान की गई।
दीक्षांत समारोह का समापन देशभक्ति से ओतप्रोत “वंदे मातरम्” के गायन के साथ हुआ, जिसने उपस्थित सभी जनों में राष्ट्र-निर्माण के प्रति गर्व, उद्देश्य और उत्तरदायित्व की भावना को सुदृढ़ किया।
AURO विश्वविद्यालय का 13वाँ दीक्षांत समारोह 2047 तक के विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप, भविष्य-सज्जित और मूल्य-आधारित नेतृत्व को पोषित करने के अपने मिशन का सशक्त प्रतीक बना।
