सूरत, गुजरात: जेम्स एंड ज्वेलरी क्षेत्र में कौशल-आधारित उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए 17 सितंबर को मेधावी स्किल्स यूनिवर्सिटी (MSU) और इंटरनेशनल स्कूल ऑफ जेम्स एंड ज्वैलरी (ISGJ), सूरत के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। दोनों संस्थाएं संयुक्त रूप से इस क्षेत्र में स्किल गैप को पाटने के लिए ज्वैलरी डिजाइन और मैन्यूफेक्चरिंग में उद्योग से जुड़े बीबीए और एमबीए पाठ्यक्रम शुरू कर रहे हैं। ये पाठ्यक्रम अप्रेंटिसशिप एंबेडेड डिग्री प्रोग्राम (एईडीपी) हैं, जो छात्रों को पढ़ाई के दौरान सीधे उद्योग का अनुभव देंगे।
समझौता पत्र पर एमएसयू के सह-संस्थापक और प्रो-चांसलर श्री कुलदीप सरमा और आईएसजीजे के संस्थापक और सीईओ श्री कल्पेश देसाई ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर इंडस्ट्रियल रिलेशनशिप के वाइस प्रेसिडेंट श्री सजीव कुमार और आईएसजीजे के एकेडमिक डायरेक्टर उपस्थित थे।
समारोह के बाद एक इंडस्ट्री टूर का आयोजन किया गया। यह दौरा जेम्स एंड ज्वैलरी क्षेत्र के प्रमुख स्टेक होल्डर्स यानी उद्योग के अग्रणी और छात्रों को एक साथ लाया। प्रतिनिधिमंडल को जेम्स एंड ज्वैलरी उत्पादन प्रक्रियाओं में अत्याधुनिक प्रगति का प्रत्यक्ष अनुभव मिला। ऐसे कार्यक्रम शिक्षा जगत और जेम्स एंड ज्वैलरी क्षेत्र के बीच एक मजबूत संबंध बनाते हैं।
एमओयू का उद्देश्य पारंपरिक शिल्प कौशल और आधुनिक उद्योग की जरूरतों के बीच अंतर को पाटना है। ये पाठ्यक्रम छात्रों को लगातार बदलते ज्वैलरी डिजाइन और मैन्यूफेक्चरिंग उद्योग के साथ तालमेल बिठाना सिखाएंगे।
इस अवसर पर अपना उत्साह व्यक्त करते हुए एमएसयू के कुलदीप सरमा ने कहा कि जेम्स एंड ज्वैलरी क्षेत्र में लगभग 46 लाख जितनी बड़ी संख्या में लोग काम कर रहे हैं. ये देश की जीडीपी में बहुत बड़ा योगदान देते हैं। इसलिए उनकी कुशलता को बढ़ाने का काम आज बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। इस समझौते से हम कुछ ऐसा करने जा रहे हैं जिससे इस क्षेत्र के विकास में काफी तेजी आएगी।
अपनी खुशी व्यक्त करते हुए, आईएसजीजे के श्री कल्पेश देसाई ने कहा: “हम बीबीए और एमबीए पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए एमएसयू के साथ साझेदारी को लेकर बहुत उत्साहित हैं। हमारा लक्ष्य डिजाइनरों और पेशेवरों की एक नई पीढ़ी का पोषण करना है जो आधुनिक वैश्विक रुझानों को अपनाएंगे और जेम्स एंड ज्वैलरी भारत की समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाएंगे। ”
एमएसयू के डाॅ. सजीव कुमार ने उद्योग-शैक्षणिक सहयोग के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा, “भारत की विरासत में आभूषणों का हमेशा एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यह समझौता उभरते उद्योगों में नवाचार और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए हमारे विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता में एक नया अध्याय है। हमारा लक्ष्य छात्रों को सीखने के अनूठे अवसर प्रदान करना है जो उद्योग-प्रासंगिक और भविष्य-केंद्रित हों।