सूरत। सूरत महानगरपालिका संचालित नगर प्राथमिक शिक्षण समिति की ओर से 1200 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दी गई है। शहर के गरीब और मजदूर परिवारों के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा सुविधा को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए बजट में 20 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है। वर्तमान में गुजराती, हिंदी और उर्दू सहित मराठी माध्यम में पढ़ने वाले अनुमानित 1.91 लाख छात्रों के मुकाबले 1500 से अधिक शिक्षकों की कमी है। इसके अलावा प्रधानाध्यापक के भी 100 से अधिक पद रिक्त पाये गये हैं।
मिनी इंडिया सूरत को कर्मभूमि बनाने वाले विभिन्न राज्यों के नागरिकों के बच्चों को निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से नगर प्राथमिक शिक्षण समिति द्वारा मराठी, उर्दू, उड़िया, हिंदी सहित अंग्रेजी माध्यम स्कूल का संचालन किया जा रहा है। वर्तमान में शहर भर में सभी माध्यमों के कुल 359 स्कूल संचालित किये जा रहे हैं। जिसमें 1.91 लाख से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इन विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ उचित सुविधाएं भी मिलें, इसके लिए समिति संचालक द्वारा अगले साल के लिए 1202 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। लेकिन शहर के गरीब व मजदूर बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही स्कूलों में 1500 से अधिक शिक्षकों की कमी है। शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए बजट में 20 करोड़ का विशेष प्रावधान किया गया है। हालांकि प्रवासी शिक्षकों की अनियमितता पर भी कई बार सवाल उठे हैं। इसके अलावा कुल 329 प्रधानाध्यापकों के सामने 105 प्रधानाध्यापकों की भी कमी है। एक तरफ बच्चों के लिए दो जोड़ी यूनिफॉर्म और जूते-मौजे के लिए 40 करोड़ का आवंटन किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ शैक्षिक गतिविधियों के लिए जरूरी शिक्षकों की कमी का विपरीत असर देखने को मिल रहा है।