उत्तराखंड की गायिका हेमा नेगी खरासी: वैश्विक मंच पर पहाड़ी संस्कृति की प्रस्तुति
उत्तराखंड, भारत का वह सुंदर राज्य जहाँ प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर का संगम होता है। इसी धरोहर को वैश्विक मंच पर पहुंचाने वाली उत्तराखंड की प्रमुख गायिका हेमा नेगी खरासी का योगदान अद्वितीय है।
हेमा जी का जन्म उत्तराखंड के एक छोटे गाँव में हुआ था, जहाँ से उन्होंने पहाड़ी संस्कृति और पारंपरिक गीतों का अदान-प्रदान किया। बचपन से ही संगीत में रुचि रखने वाली हेमा जी ने अपने करियर की शुरुआत चार वर्ष की उम्र में की थी।
उनके पिता का असमय निधन हो जाने पर भी उनकी माँ ने उन्हें संगीत की दिशा में बढ़ते जाने के लिए प्रेरित किया। हेमा जी की माँ का आशीर्वाद और संजीवनी शक्ति बनी, जिसने उन्हें उनके सपनों की ओर बढ़ते जाने में मदद की।
2003 में हेमा जी ने GIC कंदाई में “धरती हमरा गढ़वाली की” गीत को गाया, जिसे सुनकर सभी प्रेक्षक प्रभावित हुए। इस प्रस्तुति के बाद, उन्हें अधिक पहचान मिली और उनका संगीतिक सफर और भी मजबूत हुआ।
हेमा जी ने अपनी उच्च शिक्षा संगीत में पूरी की और उन्होंने अपने बड़ी बहन के साथ कोटद्वारा में अध्ययन जारी रखा। उनकी आवाज़ में वह विशेषता थी जिसने संगीत प्रेमियों का ध्यान खींच लिया।
2005 में, हेमा जी ने अपना पहला गढ़वाली ऑडियो एल्बम “क्या बुन तब” जारी किया। उन्होंने प्रस
प्रसिद्ध गायक नरेंद्र सिंह नेगी के साथ मिलकर “कथा कार्तिक स्वामी” एल्बम बनाया, जिससे उन्हें गढ़वाली संगीत उद्योग में मजबूत स्थान मिला।
उनकी संगीत में योगदान को देखते हुए, उत्तराखंड के लोग उन्हें अपनी सांस्कृतिक धरोहर की सच्ची प्रतिष्ठानी गायिका मानते हैं। उनकी आवाज़ ने न केवल उत्तराखंड के लोगों का दिल छू लिया, बल्कि न्यूज़ीलैंड, दुबई, इंग्लैंड, और जापान जैसे देशों में भी लोगों को प्रभावित किया।
आज भी, हेमा नेगी खरासी अपनी संस्कृति को संजीवनी देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका हाल ही में जारी किया गया गीत “अमरा बान” हिट है और लोग इसे पसंद कर रहे हैं। उनका संगीतिक सफर उनकी प्रतिभा, समर्पण, और परिवार के समर्थन का प्रतीक है। वह उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को उत्साहित करती रही हैं और वैश्विक मंच पर ले जा रही हैं।