पिता- पुत्र बने थेलेसेमियाग्रस्त बच्चे के लिए जीवनदाता, ब्लड बैंक में खूनी की कमी थी तो पहुंचकर किया रक्तदान
हर 15 दिन में पीड़ित बच्चे को चढ़ाना पड़ता है ब्लड
ब्लड बैंकों में रक्त की कमी से कई पीड़ितों को समय पर नहीं मिल रहा रक्त
सूरत. शहर में कई ऐसे लोग हैं, जिनकी वजह से मानवता के दर्शन हो जाते हैं। ऐसे ही लोगों में शुमार है वराछा अश्विनी कुमार क्षेत्र निवासी पिता-पुत्र। शुक्रवार को थेलेसेमियाग्रस्त एक बच्चे को खून की जरूरत थी और ब्लड बैंक में फ्रेश ब्लड ही उपलब्ध नहीं था। बच्चे की जान सांसत में पड़ सकती थी, तभी तीनों पिता-पुत्र और पुत्रों के दोस्त मदद के लिए पहुंच गए। चारों ने रक्तदान किया और बच्चे के लिए जीवनदाता साबित हुए।
रक्तदाता हरीश गुर्जर ने बताया कि शुक्रवार को उनकी एक परिचित महिला का फोन आया। वह फोन पर रो रही थी। पूछने पर उसने बताया कि उसका पुत्र थेलेसेमिया से पीडि़त है और हर 15 दिन में उसे खून चढ़ाना पड़ता है। वह खून चढ़ाने के लिए रक्तदान केन्द्र आई है, लेकिन यहां पर फ्रेश ब्लड उपलब्ध नहीं है। अन्य ब्लड बैंकों में भी जांच की, लेकिन कहीं पर भी फ्रेश ब्लड नहीं मिल रहा है और बच्चे को खून चढ़ाना जरूरी है। महिला की बात सुनते ही हरीश गुर्जर ने ब्लड बैंक के कर्मचारियों से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि उन्हें रक्तदाताओं की जरूरत है, तभी बच्चे को खून चढ़ा पाएंगे। जिस पर सिर्फ हरीश गुर्जर ही नहीं, उनके दो पुत्र दीपेश और लवेश गुर्जर व पुत्रों का दोस्त यज्ञेश वघासिया रक्तदान केन्द्र पहुंच गए और चारों ने रक्तदान करने की हामी भरी। इसके बाद रक्तदान केन्द्र के कर्मचारियों ने चारों का रक्त लिया और उसमें से थेलेसेमिया से पीडि़त बच्चे को खून चढ़ाया।
– पिता 57वीं बार तो पुत्र 30 बार कर चुका हैं रक्तदान :
रक्तदान कर थेलेसेमिया से पीडि़त बच्चे की मदद करने वाले हरीश गुर्जर और उनके बेटे बीते कई सालों से रक्तदान करते आ रहे हैं। शुक्रवार को हरीश ने 57वीं बार रक्तदान किया। जबकि उनके बड़े पुत्र दीपेश ने 30वीं बार और छोटे पुत्र लवेश ने 14वीं बार रक्तदान कर किया। उन्हें देख दोस्त यज्ञेश ने पहली बार रक्तदान किया।