मध्यप्रदेश में क्या फिर से मिलावटी दवा की पुनरावृत्ति ?

मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ खाँसी  की दवा के मामले के बाद, ग्वालियर ज़िले में बच्चों की एक एंटीबायोटिक सिरप में ‘काले कण’ पाये जाने का एक और मामला सामने आया है। कहा जा रहा है कि ये कण कीट (insects) जैसे दिख रहे थे। एक अधिकारी ने बताया कि इस कारण दवा का स्टॉक रोक दिया गया है और सैंपल जाँच के लिए प्रयोगशाला भेज  दिए गये हैं। 

ग्वालियर, 16 अक्टूबर 2025 ! मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ खाँसी  की दवा के मामले के बाद, ग्वालियर ज़िले में बच्चों की एक एंटीबायोटिक सिरप में ‘काले कण’ पाये जाने का एक और मामला सामने आया है। कहा जा रहा है कि ये कण कीट (insects) जैसे दिख रहे थे। एक अधिकारी ने बताया कि इस कारण दवा का स्टॉक रोक दिया गया है और सैंपल जाँच के लिए प्रयोगशाला भेज  दिए गये हैं।

यह मामला एक मरीज द्वारा सिविल सर्जन अस्पताल के सरकारी मेडिकल स्टोर (मोरार क्षेत्र, ग्वालियर) में रिपोर्ट किया गया। शिकायतकर्ता ने बुधवार को सिविल सर्जन को मौखिक रूप से यह मामला बताया, जिसके बाद ड्रग विभाग ने तुरंत जाँच शुरू की और बुधवार को ही सैंपल एकत्र किये।

एएनआई के अनुसार ग्वालियर की दवा निरीक्षक (ड्रग इंस्पेक्टर) अनुहूति शर्मा ने उन्हें बताया, “सिविल सर्जन मेडिकल स्टोर में मौखिक शिकायत दर्ज कराई गयी थी कि एक मरीज ने बच्चों की सिरप में कुछ काले कण होने की शिकायत की, जिन्हें उसने कीट जैसा बताया।”

काले कण, जिन्हें उन्होंने कीड़े बताया, एज़िथ्रोमाइसिन ओरल सस्पेंशन (शरबत) में पाए गये। शिकायत के आधार पर, सिविल सर्जन स्टोर में उपलब्ध स्टॉक को फ्रीज़ कर दिया गया है। इसके साथ ही, जिस वार्ड में यह दवा वितरित की गयी थी, वहाँ से भी स्टॉक वापस मंगा लिया गया है। इस तरह, लगभग 306 बोतलें जो वितरित की गयी थीं या स्टोर में उपलब्ध थीं, उन्हें भी फ्रीज़ कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त,  नमूने एकत्र कर लिए गये हैं और अब उन्हें परीक्षण के लिए प्रयोगशाला भेजा जाएगा। परीक्षण रिपोर्ट आने के बाद यह पता चलेगा कि दवा में कौन-कौन सी अशुद्धियाँ पाई गयी हैं।

ड्रग इंस्पेक्टर शर्मा ने बताया कि इस सन्दर्भ में अब तक कोई लिखित शिकायत प्राप्त नहीं हुई है, न ही मरीज की पहचान ज्ञात है। केवल मौखिक शिकायत की गयी थी कि एज़िथ्रोमाइसिन ओरल सस्पेंशन में कुछ काले कण दिखाई दिए थे। उन्होंने कहा, “हमने भी यादृच्छिक रूप से (Randomly)  उसी बैच की 4-5 बोतलें खोलीं जो दुकानों में उपलब्ध थीं, लेकिन हमारी भौतिक जाँच में कोई कण या कीड़े नहीं मिले। पूरी जाँच के लिए नमूनों को प्रयोगशाला में भेजा गया है।”  शर्मा ने आगे कहा कि दवा दुकानों और सरकारी भंडार संचालकों को हमेशा यह निर्देश दिया गया है कि यदि किसी भौतिक जाँच में गुणवत्ता में कोई कमी पायी जाती है या किसी प्रकार का संदेह या शिकायत प्राप्त होती है, तो उस स्टॉक को तुरंत फ्रीज़ कर देना चाहिए और कार्यालय को सूचित करना चाहिए ताकि सैंपलिंग की प्रक्रिया की जा सके। उन्होंने कहा, “यह प्रक्रिया भविष्य में भी जारी रहेगी, और अतीत में भी जब-जब हमें इस प्रकार के मामले मिले हैं, हमने सैंपलिंग की कार्रवाई की है।”

दवा नियंत्रक ने बताया कि फ्रीज़ की गयी दवाओं में से 16 बोतलों के नमूने जाँच के लिए भोपाल प्रयोगशाला भेजे गये हैं। बाकी बोतलें स्टोर में रखी गयी हैं और फ्रीज़ कर दी गयी हैं  ।  उनका आगे वितरण भी रोक दिया गया है ।