लखनऊ, 11 दिसंबर 2025 ! उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपावली को यूनेस्को की Intangible Cultural Heritage (अमूर्त सांस्कृतिक विरासत) सूची में शामिल किए जाने को अत्यंत गौरवपूर्ण क्षण बताया।
उन्होंने कहा कि यह वैश्विक मान्यता ऐसे त्योहार को सम्मान देती है, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय और नई शुरुआत की भावना का प्रतीक है। योगी ने कहा कि यह उपलब्धि भारत की सांस्कृतिक शक्ति और इसकी परंपराओं की सार्वभौमिक प्रासंगिकता को और मजबूत करती है।
अपने ‘X’ हैंडल पर साझा किए संदेश में मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के लिए इस मान्यता के विशेष महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने लिखा, “यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में दीपावली का शामिल होना एक गर्वपूर्ण मान्यता है। यह त्योहार प्रकाश की अंधकार पर विजय और नई शुरुआत का उत्सव मनाता है। उत्तर प्रदेश के लिए यह सम्मान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। अयोध्या, जो प्रभु श्रीराम की पवित्र भूमि है, वही स्थान है जहाँ पहली बार दीपावली मनाई गई थी। यह वैश्विक स्वीकार्यता, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत की बढ़ती सांस्कृतिक प्रतिष्ठा को दर्शाती है। अयोध्या का यह शाश्वत प्रकाश मानवता को सत्य और सद्भाव की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहे।”
सीएम योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि भारत के त्योहारों और परंपराओं की वैश्विक स्वीकार्यता एक अत्यंत उत्साहजनक विकास है। आशा व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “अयोध्या का शाश्वत प्रकाश मानवता को सत्य और सद्भाव के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता रहेगा।”
उनके लिए, दिवाली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि जीवन जीने का वह तरीका है जो समाज को एकता और साझा मूल्यों की ओर ले जाता है।
यह भी जान लें कि दीपावली (Deepavali/Diwali) को यूनेस्को की “अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची” (Representative List of the Intangible Cultural Heritage of Humanity) में आधिकारिक रूप से शामिल करने का यह निर्णय यूनेस्को की 20वीं अंतर-सरकारी समिति (Intergovernmental Committee) के सत्र, जो 8–13 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली के लाल किले में आयोजित किया गया था, में लिया गया था।
इस निर्णय के बाद अब दीपावली भारत की 16वीं सांस्कृतिक परंपरा बन गई है जो इस सूची में शामिल हुई है। इससे पहले भारत की कई सांस्कृतिक धरोहरें (जैसे योग, कुंभ मेला, दुर्गा पूजा, रामलीला, गरबा, आदि) भी इसी सूची में शामिल हैं।
यूनेस्को द्वारा दीपावली को इस सूची में चुने जाने के मूल कारण इस त्यौहार के सांस्कृतिक, सामाजिक और पारंपरिक महत्व हैं जिनके अंतर्गत यह परंपरा समुदायों को जोड़ती है, सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती है और पीढ़ियों से जीवन में प्रकाश, सद्भाव और खुशहाली के संदेश को संजोए रखती है। यूनेस्को की मान्यता है कि यह त्योहार केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक जीवंत, साझा सांस्कृतिक विरासत है जिसे संरक्षित करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान देना आवश्यक है।