संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, सभ्यता और गौरव का प्रतीक है।
हम भारत की धरोहर संस्कृत को भारतीय जनमानस तक पहुँचाने के उद्देश्य से ‘विश्वस्य वृत्तांतम्’ समाचार पत्र प्रकाशित करते हैं – प्रकाशक मुर्तजा खम्भावाला
संस्कृत के महत्व को समझते हुए, आयरलैंड जैसे पश्चिमी देशों के स्कूलों में संस्कृत को एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है – संपादक शिवराज झा “शान्तेय”
नई शिक्षा नीति में भी संस्कृत को विशेष दर्जा दिया गया है…
सूरत: हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण पूर्णिमा के पावन पर्व पर रक्षाबंधन के साथ-साथ ‘विश्व संस्कृत दिवस’ भी मनाया जाता है। संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, सभ्यता और गौरव का प्रतीक है। आज पूरी दुनिया भारतीय संस्कृति और संस्कृत में पाए जाने वाले आयुर्वेद और योग पर ध्यान केंद्रित कर रही है। ‘समाजस्य हितम्, संस्कृते निहितम् – अर्थात् ‘समाज का हित संस्कृत में निहित है।’ संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी कहा जाता है। संस्कृत का विकास हमारी भारतीय परंपरा, संस्कृति और मानव सभ्यता का विकास है। नई शिक्षा नीति में भी संस्कृत को विशेष दर्जा दिया गया है।
सूरत शहर से पिछले 15 वर्षों से नियमित रूप से प्रकाशित होने वाले दैनिक संस्कृत समाचार पत्र ‘विश्वस्य वृत्तांत’ के संपादक श्री शिवराज झा “शान्तेय” संस्कृत भाषा की वर्तमान स्थिति और संस्कृत के प्रति समाज के दायित्व के बारे में कहते हैं कि, संस्कृत का प्रयोग केवल कर्मकांड या पूजा-पाठ के लिए ही किया जाता है, इस मानसिकता से बाहर आकर संस्कृत में निहित ज्ञान-विज्ञान के सागर को समझने की विशेष आवश्यकता है। आज के समय में पश्चिमी देशों में भी संस्कृत को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। उदाहरण के लिए, आयरलैंड में पहली कक्षा से ही संस्कृत पढ़ाई जाती है। इस प्रकार, विश्व के कई देशों में संस्कृत को आत्मसात करने के प्रयास किए जा रहे हैं। यदि भारत को सही अर्थों में विश्व गुरु बनना है, तो प्रत्येक भारतीय नागरिक को संस्कृत को आत्मसात करना होगा।
श्री झा आगे कहते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा संस्कृत के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। दिसंबर 2019 में संस्कृत भारती के राज्य अधिवेशन में मुख्यमंत्री द्वारा “विश्वस्य वृत्तांत” परिवार को सम्मानित किया गया। विश्वस्य वृत्तांत समाचार पत्र ने प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ प्रेस वार्ता और महाकुंभ संबंधी कार्यक्रमों से लगभग 220 संस्कृत समाचारों का संकलन कर महाकुंभ पर एक विशेष पुस्तक और उत्तर प्रदेश सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों से लगभग 400 संस्कृत समाचारों का संकलन कर एक विशेष पुस्तक तैयार की है, जिसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उपहार स्वरूप भेंट किया जाएगा।
“विश्वस्य वृत्तांत” के प्रकाशक मुर्तजा खंभातवाला कहते हैं कि भारत में सभी भाषाओं में दैनिक समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं, तो संस्कृत में क्यों नहीं? जो भाषा जन-जन तक पहुँचती है, वही अपना अस्तित्व बनाए रखने में सक्षम होती है। इसी विचार को साकार करने के लिए, छोटे-बड़े सभी को सरल भाषा में संस्कृत से परिचित कराने और संस्कृत एवं भारतीय संस्कृति के प्रति समाज की चेतना जागृत करने के उद्देश्य से, हम पिछले 15 वर्षों से संस्कृति से भरपूर शहर सूरत से “विश्वस्य वृत्तांत” नामक दैनिक संस्कृत समाचार पत्र का प्रकाशन कर रहे हैं। यह न केवल सूरत शहर के लिए, बल्कि पूरे गुजरात के लिए गौरव की बात मानी जा सकती है कि आज “विश्वस्य वृत्तांत” भारत का एकमात्र नियमित रूप से प्रकाशित होने वाला दैनिक संस्कृत समाचार पत्र है।
खंभातवाला ने आगे कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में, “विश्वस्य वृत्तांत” अत्यंत सरल, सुबोध और वर्तमान परिस्थिति के अनुकूल शब्द संयोजनों का प्रयोग करता है, जिससे पाठकों को भाषा समझने में आसानी हो। “विश्वस्य वृत्तांत” आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है ताकि न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में लोग संस्कृत से लाभान्वित हो सकें। “ई-कॉपी” सोशल मीडिया के माध्यम से संस्कृत प्रेमियों तक आसानी से पहुँचती है, लेकिन लोगों में संस्कृत के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण की बहुत आवश्यकता है।