नई दिल्ली, 24 दिसंबर 2025! पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की जंगीपुर सब-डिवीजन अदालत ने मंगलवार को वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध प्रदर्शनों के दौरान अप्रैल में हरगोबिंदो दास और उनके बेटे चंदन दास की हत्या के दोषी 13 लोगों को सजा सुनाई। सब-डिवीजन अदालत के न्यायाधीश अमिताभ मुखोपाध्याय ने सोमवार को 13 लोगों को दोषी ठहराया था। मंगलवार को अदालत परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सजा सुनाई गई।
पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर किए गए एक पोस्ट के अनुसार, यह घटना 12 अप्रैल को जंगीपुर पुलिस जिला अंतर्गत समशेरगंज थाना क्षेत्र के जाफराबाद गाँव में हुई थी। पीड़ितों की पहचान हरगोबिंद दास और उनके पुत्र चंदन दास के रूप में की गई थी। यह फैसला भारत के नए आपराधिक कानूनों के तहत एक महत्वपूर्ण दोषसिद्धि माना जा रहा है। यह निर्णय दोहरे हत्याकांड के नौ महीने बाद आया है।
बताया गया कि दोनों पर एक उग्र भीड़ ने हमला किया, जिसमें उनकी मौत हो गई। इस घटना ने क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव तथा कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर चिंताएँ पैदा कर दी थीं।
हत्या की इस घटना के बाद राज्य पुलिस ने मामले की गहन जाँच की थी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए आरोप पत्र दाखिल किया था। अदालत के इस फैसले को न्याय की दिशा में एक अहम कदम के रूप में देखा जा रहा है।
हत्याओं के बाद, राज्य पुलिस ने मामले की विस्तृत जाँच के लिए विशेष जाँच दल (एसआईटी) का गठन किया। व्यापक जाँच के बाद, एसआईटी ने 13 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया और अपराध में उनकी संलिप्तता स्थापित करने के लिए साक्ष्य प्रस्तुत किए।
मंगलवार को फैसला सुनाते हुए अदालत ने सभी 13 आरोपियों को दोषी पाया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
यह दोषसिद्धि इसलिए भी उल्लेखनीय है क्योंकि यह देश में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103(2) के तहत दिया गया केवल दूसरा फैसला है। यह धारा विशेष रूप से भीड़ द्वारा हत्या (मॉब लिंचिंग) से होने वाली मौतों से संबंधित है और इसे नए आपराधिक कानूनों के हिस्से के रूप में लागू किया गया है।
अपने बयान में पश्चिम बंगाल पुलिस ने कहा कि यह फैसला उन “निरंतर और उकसावे वाली भ्रामक सूचनाओं” के खिलाफ एक मजबूत जवाब है, जिन्हें कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा सांप्रदायिक अशांति भड़काने के उद्देश्य से फैलाया गया था।
पुलिस ने सांप्रदायिक वैमनस्य भड़काने के प्रयासों के खिलाफ शून्य सहिष्णुता नीति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि यह फैसला कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से न्याय सुनिश्चित करने के उनके संकल्प को दर्शाता है।