सूरत की गारमेंट इंडस्ट्री के लिए एक शानदार शाम- आईडीटी द्वारा सूरत के गारमेंट उद्योग के भविष्य पर कॉन्क्लेव और फैशन शो का आयोजन

इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी (आईडीटी) ने 30 जून को अवध यूटोपिया में एक कॉन्क्लेव का आयोजन किया। इस कॉन्क्लेव के पैनल में आईडीटी के चेयरमैन श्री अशोक कुमार गोयल, साउथ गुजरात टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट श्री सुनील जैन, और देश भर से इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स जैसे नवीन सैनानी, कनिका वोहरा, रमन दत्ता, लीला तपारिया और अनिल पितलिया ने भाग लिया। उन्होंने गारमेंट उद्योग की चुनौतियों को समझा और इसके भविष्य पर चर्चा कर अपने अनुभव साझा किए। इस पैनल डिस्कशन का संचालन डॉ. अजॉय भट्टाचार्य ने किया।

इन पैनलिस्टों ने फैशन उद्योग में सस्टैनेबिलिटी, मार्केट ट्रेंड्स और चुनौतियाँ, अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में विस्तार और ऐक्सपोर्ट्स, सरकारी समर्थन और नीतियां, कार्यश्रमता विकास, महिला सशक्तिकरण जैसे प्रमुख विषयों पर चर्चा की।

रमन दत्ता, ब्रैंड्स एंड सोर्सिंग लीडर्स एसोसिएशन के फाउंडर ने बताया कि जब वह सूरत के फ़ेब्रिक्स जापान लेकर गये, तो कोई यह मानने के लिए तैयार नहीं था कि ये भारत से हैं। इन फैब्रिक्स की क्वॉलिटी चीन से बेहतर है, और कीमत चीन से सस्ती है। यह सूरत की वैश्विक श्रमता दर्शाता है। हम विश्व बाजार को हिला के रख सकते हैं।

CMAI के नवीन सैनानी जी ने कहा, “हम चाहते हैं कि आज की जेनरेशन के काम को उद्योग के लोगों के सामने पेश करें ताकि वे आत्मविश्वास प्राप्त कर सकें।”

बैंगलोर से आई ICH नेक्स्ट की फाउंडर, कनिका वोहरा ने सूरत के पोटेंशियल को देखते हुए कहा, “सूरत को इंटरनेशनल मार्केट तक ले जाने के लिए सिर्फ नॉलेज ही नहीं, बल्कि रिसर्च भी बहुत ज़रूरी है, और इसमें ICH नेक्स्ट IDT के साथ जुड़कर पूरा सहयोग करेगा।”

अनिल पितलिया जी ने भी अपना अनुभव शेयर किया, “हम लगातार प्रयोग करते हैं, हर दिन कुछ नया बनाने की कोशिश करते हैं, ताकि लोग सूरत आकर कहें ‘हमने ऐसा क्रिएशन कहीं नहीं देखा’ और यह सुनकर हमें बहुत खुशी मिलती है। हमें हिंदुस्तान के हर एक आदमी को सही चीज, सही जगह, सही रेट में बेचनी है, यही हमारा उद्देश्य है।”

लीला तपारिया ने फैशन इंडस्ट्री में सस्टेनेबिलिटी के विषय पर कहा, “सूरत के छात्रों को ज़ीरो-वेस्ट कटिंग पैटर्न सीखने की जरूरत है, और फैशन में फ़्लेक्सिबल आइटम बनाने की ज़रूरत है।”

सुनील जैन, SGTTA, ने कहा कि “सूरत जो भी आया है, उसने खुदसे झंडे गाड़े हैं। और अब जब-जब गारमेंट इंडस्ट्री का सूरत में नाम बढ़ेगा, आईडीटी का नाम हमेशा आएगा।”

डॉ अजॉय भट्टाचार्य ने भी महत्वपूर्ण सवाल उठाया, “सूरत के पास वस्त्र बनाने की क्षमताएं हैं, तो फिर गारमेंट्स क्यों नहीं?”

अब तक सूरत को भारत के टेक्सटाइल हब के रूप में जाना जाता है, लेकिन तैयारी जोरों पर है कि आने वाले 10 साल में सूरत सिर्फ टेक्सटाइल हब नहीं, बल्कि भारत का गारमेंट हब भी बन जाएगा।

कॉन्क्लेव के बाद फ़ैशनोवा 2024 – एक फ़ैशन शो का आयोजन किया गया, जहाँ डिज़ाइन और इनोवेशन के संयोग को रैंप पर देखकर सभी दर्शकों ने अपार प्रशंसा की। यह कार्यक्रम रचनात्मकता, नवाचार और फैशन इंडस्ट्री के लेटेस्ट ट्रेंड्स पर आधारित था। शो में 20 थीमों में लगभग 160 गारमेंट्स का शोकेस हुआ जिसमें पर्यावरण अनुकूल वस्त्र, रीवाईविंग क्राफ्ट, एआई-जनरेटेड प्रिंट, तकनीकी वस्त्र जैसी प्रविधियों का प्रदर्शन देखने को मिला। इस शो में आईडीटी मुज़फ़्फ़रपुर, आईडीटी कोट्टयम, और आईडीटी जूनागढ़ से भी छात्रों ने आकर अपना कलेक्शन दर्शाया और फ़ैशनोवा में भाग लिया।

फ़ैशनोवा-24 केवल एक फैशन शो नहीं था, यह नवाचार और युवा डिजाइनरों की असीम संभावनाओं का एक उत्सव था। यह सूरत की फैशन इंडस्ट्री के भविष्य की एक झलक थी