सूरतीयों की सिद्धि: सात जनों ने एवरेस्ट बेस कैंप को सफलतापूर्वक पूरा किया

प्रतिकूल वातावरण के बीच लुकला से ट्रेकिंग शुरू कर नौवें दिन 29 मई ” एवरेस्ट डे” पर 5364 मीटर अंतर पूरा कर साहस का परिचय दिया

सूरत: डायमंड और टेक्सटाइल सिटी के नाम से मशहूर सूरत शहर के लोग अब एडवेंचर में भी आगे बढ़ रहे हैं। हाल ही में सूरत के सात युवाओं ने अति कठिन और चुनौतीपूर्ण एवरेस्ट बेस कैंप को सफलतापूर्वक पूरा किया है। उनके इस साहस ने फिर एक बार सूरत और गुजरात को गौरवान्वित किया है। खास बात यह है कि यह सिद्धि उन्होंने उस दिन हासिल की जिस दिन एवरेस्ट डे मनाया जाता है। यानी 29 मई को  उन्होंने एवरेस्ट बेस कैम्प पूरा करने का टास्क सफलता के साथ पूरा किया।

कृषित भाई शाह ने अपनी साहसिक यात्रा के बारे में बताया कि हमारे ही ग्रुप के कुछ साथियों ने एवरेस्ट बेस कैम्प सफल रूप से पूरा किया तो हम सात साथियों संदीप नायर, पल्लवी नायर, केतुन पटेल, मेघना पटेल, मनोज डागा और वैदेही डागा को भी यह साहस करने की इच्छा हुई और इस साहसिक यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा करने के दृढ़ संकल्प के साथ यात्रा शुरू की।हम सब काठमांडू से सड़क मार्ग से रामाचिप पहुंचे। यहां से लुकला के लिए फ्लाइट थी और दूरी महज पंद्रह मिनट की थी, लेकिन खराब मौसम की वजह से फ्लाइट उड़ान भर नहीं सकती थी, ऐसे में घंटों के इंतजार के बाद आखिरकार हम उड़ान भर पाए। पंद्रह मिनट में लुकला पहुंचने के बाद यहां से हमारी ट्रेकिंग यात्रा बेस कैंप के शुरू होनी थी। पहले से ही अंदाजा था कि कई सफर में कई तरह की चुनौतियां आएंगी। अंत में हम सभी ने ट्रेकिंग शुरू की और दुर्गम पहाड़ी रास्तों पर चलते रहे। रोजाना दस से 12 घंटे की ट्रेकिंग में मुश्किल से 10 से 12 किमी की दूरी तय कर पाते थे। इतनी दूरी तय करने के बाद रात का ठहराव और सुबह फिर से लक्ष्य की ओर आगे बढ़ना। इस तरह हम 5364 मीटर की दूरी तय कर एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचे और जीवन का एक बड़ा साहसिक कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया।

अपने अनुभव के बारे में कृषित भाई ने बताया कि उन्हें लगता था कि वे दौड़कर इस दूरी को पूरा कर लेंगे, लेकिन थोड़ा चलने के साथ ही सांसें फूलने लगती। ऊंची पहाड़ियों पर चढ़ते- चढ़ते ठंड में भी पसीना छूट जाता। इसके बावजूद हिम्मत हारे बिना हमने हमारे लक्ष्य को पूरा किया। उन्होंने यात्रा का अनुभव बताते हुए कहा कि मेरे और मेरे साथियों के लिए जीवन का साहसिक और अविस्मरणीय अनुभव था और रहेगा। यहीं नहीं , खास बात यह थी कि जिस दिन हमने एवरेस्ट बेस कैंप पूरा किया वह दिन 29 मई का दिन था और 29 मई एवरेस्ट डे के तौर पर मनाया जात है। साथी ही इसी दिन विश्व तेनझिंग नोर्गे और एडमंड हिलेरी द्वारा पहले एवरेस्ट समिट की 70 वीं सालगिराह भी मनाई गई। ऐसे में इसी दिन लक्ष्य को पाना हमारे लिए एक अविस्मरणीय संस्मरण बना रहेगा।

-छह महीने पहले से शुरू किया अभ्यास

धर्मेंद्रभाई सवाणी ने बताया कि एवरेस्ट बेस कैंप तक ट्रेकिंग पूरा करने का लक्ष्य तय तो कर लिया था, लेकिन इसे हासिल करना आसान नहीं था। इसके लिए हमने छह महीने पहले से ही अभ्यास शुरू कर दिया था। प्रतिदिन ऊंची-ऊंची इमारतों पर चढ़ने और उतरते थे। साथ ही इस यात्रा के दौरान आहार का भी महत्व होता है, इसे लिए उसी तरह का आहार हम लेते थे। स्वस्थ भोजन और कठोर अभ्यास के परिणामस्वरूप इस साहसिक कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने में हम सफल रहे।