एएम/एनएस इंडिया, सीएसआईआर-सीआरआरआई की स्टील स्लैग एग्रीगेट्स तकनीक का लाइसेंस प्राप्त करने वाली पहली कंपनी बनी जिससे सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में ‘वेस्ट-टू-वेल्थ’ की संभावनाओं का सफलतापूर्वक अनलॉक होगा

हजीरा- सूरत, गुजरात, जुलाई 25, 2025: आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (AM/NS India) ने काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) – सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) के साथ साझेदारी की है, जो टिकाऊ अवसंरचना विकास की दिशा में परिवर्तनकारी नेतृत्व कर रही है और सड़क निर्माण में प्राकृतिक स्रोतों के स्थान पर प्रोसेस्ड स्टील स्लैग एग्रीगेट्स के उपयोग की तकनीक पर जोर देती है। AM/NS India देश की पहली ऐसी कंपनी बनी है जिसे CSIR–CRRI द्वारा स्टील स्लैग वैल्यूराइजेशन टेक्नोलॉजी का लाइसेंस प्राप्त हुआ है। यह संस्था विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन कार्यरत एक राष्ट्रीय स्तर की अग्रणी संस्था है। यह लाइसेंस AM/NS India को स्टील स्लैग एग्रीगेट्स के उत्पादन हेतु अधिकृत बनाता है, जिनका उपयोग सड़क निर्माण में किया जाएगा।

AM/NS India ने “Steel Slag Valorisation Technology for Development of Processed EAF Steel Slag Aggregates at AM/NS India plant in Hazira for Utilization in Road Construction” के लिए लाइसेंस प्रमाणपत्र प्राप्त किया है। इसका मतलब है कि कंपनी अपने गुजरात, हजीरा स्थित प्रमुख संयंत्र में CSIR-CRRI द्वारा विकसित विशेष तकनीक का उपयोग करके स्टील स्लैग एग्रीगेट्स का वैज्ञानिक रूप से प्रसंस्करण कर सकती है, जिसका उपयोग सड़क निर्माण में होगा।

AM/NS India फिलहाल “AM/NS आकार” नामक ब्रांड के तहत विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए स्लैग का उत्पादन करती है, जो CSIR-CRRI की सख्त तकनीकी मार्गदर्शिका, विनिर्देशों और गुणवत्ता नियंत्रण मानकों का पालन करता है। तकनीकी लाइसेंस के तहत AM/NS India द्वारा तैयार किए गए प्रोसेस्ड स्टील स्लैग एग्रीगेट्स सड़क और राजमार्ग निर्माण में उपयोग की जाने वाली प्राकृतिक सामग्री की तुलना में अधिक मजबूत और कम लागत वाले साबित हुए हैं।  AM/NS India प्रतिवर्ष लगभग 1.70 मिलियन टन स्टील स्लैग का उत्पादन करती है, जिसे अब CSIR-CRRI की तकनीक के अनुसार प्रोसेस किया जा सकता है।

सतीश पांडे, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, CSIR-CRRI और तकनीक के आविष्कारक के अनुसार: “स्टील स्लैग रोड तकनीक भारत के सड़क अवसंरचना क्षेत्र के लिए एक गेम चेंजर है। देश में प्रतिवर्ष 19 मिलियन टन से अधिक स्टील स्लैग उत्पन्न होता है, और बिना प्रोसेस किए स्लैग का उपयोग इस पर आधारित निर्माण सामग्री की यांत्रिक गुणवत्ता और दीर्घकालिक स्थिरता को खतरे में डालता है। इस लाइसेंस के साथ, AM/NS India जिसने हजीरा में भारत की पहली “ऑल स्टील स्लैग रोड” के निर्माण में हमारा सहयोग लिया था, अब विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए स्लैग का उत्पादन, विपणन अथवा विक्रय सड़क निर्माण के लिए कर सकती है।

रंजन धर, निदेशक एवं उपाध्यक्ष, सेल्स एंड मार्केटिंग, आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (AM/NS India) ने कहा: “हमें इस विशिष्ट तकनीक का लाइसेंस प्राप्त करने पर अत्यंत गर्व है। यह विकास हमारी सर्कुलर इकॉनॉमी के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के ‘वेस्ट टू वेल्थ’ विजन के अनुरूप भी है। AM/NS India ने दुनिया की संभवतः पहली स्टील स्लैग रोड को हजीरा में सफलतापूर्वक बनाया है, जिसे ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ और ‘एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में भी स्थान मिला है।”

वैज्ञानिक रूप से प्रोसेस की गई स्टील स्लैग रोड पारंपरिक निर्माण सामग्री की तुलना में महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है। स्टील स्लैग रोड सामान्यतः 30 से 40 प्रतिशत अधिक लागत प्रभावी होती है और पारंपरिक बिटुमिनस रोड की तुलना में तीन गुना अधिक टिकाऊ होती है, जिससे रखरखाव और मरम्मत की आवश्यकता कम हो जाती है। इसकी मजबूती इसे तटीय क्षेत्रों से लेकर पहाड़ी इलाकों तक विभिन्न परिस्थितियों के लिए उपयुक्त बनाती है।

बिना प्रोसेस की गई स्टील स्लैग का सीधा उपयोग सड़क निर्माण प्रक्रिया में कई चुनौतियाँ उत्पन्न करता है और पर्यावरणीय प्रभाव भी पैदा करता है। इस समस्या के समाधान हेतु स्टील मंत्रालय द्वारा CSIR-CRRI को स्टील स्लैग के सड़क निर्माण में उपयोग हेतु वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक राष्ट्रीय परियोजना सौंपी गई, जिसमें AM/NS India ने भागीदारी की। परिणामस्वरूप, हजीरा में CSIR-CRRI के सहयोग से भारत की पहली ‘ऑल स्टील स्लैग रोड’ का निर्माण हुआ, जिसमें प्रत्येक लेयर में प्राकृतिक स्रोतों के स्थान पर विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए स्टील स्लैग एग्रीगेट्स का उपयोग किया गया। इस सड़क का उद्घाटन तत्कालीन केन्द्रीय इस्पात मंत्री श्री रामचंद्र प्रसाद सिंह ने वर्ष 2022 में किया था। हाल ही में, विश्व की पहली तटीय स्टील स्लैग रोड का उद्घाटन हजीरा के एक निजी पोर्ट में किया गया। इसके अतिरिक्त, सूरत के ‘NH-53 डायमंड बुर्स’ रोड में भी ‘AM/NS आकार’ का उपयोग किया गया है।

भारत के स्टील उत्पादकों द्वारा वित्त वर्ष 2030-31 तक स्टील उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 300 मिलियन टन तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी के प्रभाव स्वरूप, वित्त वर्ष 2030 तक स्टील स्लैग उत्पादन की मात्रा 60 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है। स्टील मंत्रालय इस तकनीक को अपनाने हेतु विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के साथ सहयोग कर रहा है ताकि इस औद्योगिक बायप्रोडक्ट का व्यापक उपयोग हो सके।

यह पहल भारत की सर्कुलर इकॉनॉमी की दिशा को गति प्रदान करेगी, जिससे वर्ष 2050 तक $2 ट्रिलियन से अधिक का बाजार खड़ा करने और लगभग 1 करोड़ नौकरियाँ उत्पन्न होने की संभावना है।

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