बांग्लादेश ने फाँसी पर चढ़ाने के लिए मांगी हसीना !

नई दिल्ली/ढाका, 24 नवम्बर ! बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पदच्युत प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत से वापस लाने के लिए आधिकारिक रूप से प्रत्यर्पण (Extradition) का अनुरोध किया है। यह कदम उस समय उठाया गया जब बांग्लादेश इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने हाल ही में हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों से जुड़े एक मामले में मृत्युदंड सुनाया।

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश के अधिकारियों ने पुष्टि की कि एक नया डिप्लोमैटिक नोट नई दिल्ली भेजा गया है। यह उस समय के तुरंत बाद किया गया जब रोहिंग्या मुद्दे पर उच्च प्रतिनिधि खालिलुर रहमान भारत में एक बैठक से लौटे।

बांग्लादेश में विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने बताया कि ढाका ने हसीना की वापसी के लिए भारत से औपचारिक रूप से फिर से संपर्क किया है।

ज्ञातव्य है कि ICT ने इस सप्ताह की शुरुआत में अपना निर्णय सुनाया था, जिसमें पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल को भी मृत्युदंड दिया गया। पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्लाह अल-मामून, जो मामले में राज्य के गवाह थे, को पाँच वर्ष की कैद की सजा मिली है।
ढाका ने फैसले के बाद भारत से अनुरोध किया कि वह दोनों दोषियों को बिना देरी के सौंप दे। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यदि कोई देश ऐसे दोषी व्यक्तियों को शरण देता है, तो यह एक “गंभीर अनमैत्रीपूर्ण कदम और न्याय का मज़ाक”होगा।

भारत ने प्रतिक्रिया स्वरुप ट्रिब्यूनल के फैसले को स्वीकार करते हुए कहा कि वह बांग्लादेश के साथ रचनात्मक सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है।
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा:“एक करीबी पड़ोसी के रूप में, भारत बांग्लादेश की जनता के सर्वोत्तम हितों , शांति, लोकतंत्र, समावेश और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्ध है।” नई दिल्ली ने यह भी कहा कि वह सभी हितधारकों के साथ मिलकर इन उद्देश्यों को आगे बढ़ाने का प्रयास करता रहेगा।

ढाका में एक कार्यक्रम में, सुरक्षा विश्लेषक और बांग्लादेश इंस्टिट्यूट ऑफ पीस एंड सिक्योरिटी स्टडीज़ के अध्यक्ष ए.एन.एम. मुनीरुज्ज़मान ने कहा कि भारत को बांग्लादेश की कानूनी प्रक्रियाओं का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हसीना के मुकदमे ने सभी अंतरराष्ट्रीय मानकों और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया है, और उन मानकों का सम्मान करने के लिए भारत को हसीना को बांग्लादेश लौटाना चाहिए।

मुनीरुज्ज़मान ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच मौजूदा प्रत्यर्पण संधि में ऐसे मामलों से संबंधित प्रावधान मौजूद हैं, और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार जब किसी दोषी को सौंपने का औपचारिक अनुरोध किया जाए, तो देशों को ऐसा करना चाहिए।

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