
जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व पर गंभीर खतरा !
संवेदनशील पर्यावरण क्षेत्रों और बफर ज़ोन में बेतहाशा अवैध पत्थर खनन के कारण जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व (Similipal Tiger Reserve) गंभीर पारिस्थितिक (ecological) संकट का सामना कर रहा है। विशेष रूप से दुखरा रेंज को ऐसी अवैध गतिविधियों का केंद्र (hotspot) बताया गया है, जो पर्यावरण और वन्यजीवों दोनों के लिए भारी नुकसानदायक साबित हो रही हैं।
मयूरभंज (ओडिशा), 26 अक्टूबर 2025 ! संवेदनशील पर्यावरण क्षेत्रों और बफर ज़ोन में बेतहाशा अवैध पत्थर खनन के कारण जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व (Similipal Tiger Reserve) गंभीर पारिस्थितिक (ecological) संकट का सामना कर रहा है। विशेष रूप से दुखरा रेंज को ऐसी अवैध गतिविधियों का केंद्र (hotspot) बताया गया है, जो पर्यावरण और वन्यजीवों दोनों के लिए भारी नुकसानदायक साबित हो रही हैं।
खनन गतिविधियों में वृद्धि के कारण कई जानवरों को अपने प्राकृतिक आवास (habitats) छोड़ने पड़ रहे हैं ,जिसके कारण मानव जीवन पर खतरे के बदल मँडराने लगे हैं क्योंकि वन्यजीव अब भोजन, पानी और आश्रय की तलाश में मानव-आबादी वाले क्षेत्रों में प्रवेश कर रहे हैं। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष (human-wildlife conflict) की घटनाएँ बढ़ गयी हैं, जो न केवल मानव जीवन के लिए खतरा बन रही हैं बल्कि इन प्रजातियों के अस्तित्व पर भी गंभीर प्रभाव डाल रही हैं।
रिज़र्व में पाए जाने वाले दुर्लभ साँपों कि प्रजातियाँ, जो पारिस्थितिकी तंत्र का अहम हिस्सा हैं, वे भी खनन गतिविधियों से प्रभावित हो रही हैं। उनके आवासों का विनाश (destruction of habitats) और उनके प्राकृतिक व्यवहार में व्यवधान (disruption of natural behaviour) दीर्घकालिक पारिस्थितिक असंतुलन पैदा कर सकता है।
केवल वन्यजीव ही अवैध पत्थर खनन से प्रभावित नहीं हो रहे हैं, बल्कि पूरा पर्यावरण भी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है।खनन कार्यों से हवा में बड़ी मात्रा में धूल और प्रदूषक-कण फैल रहे हैं, जिससे जिले में गंभीर वायु प्रदूषण की स्थिति बन गयी है जिसके कारण आस-पास के गाँवों और कस्बों में रहने वाले लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा हो रही हैं। लोगों में साँस संबंधी बीमारियाँ, हृदय रोग, और यहाँ तक कि कैंसर जैसी बीमारियाँ होने का खतरा बढ़ गया है। इसके अलावा, धूल-कण (dust particles) स्थानीय वनस्पति (flora) को भी नुकसान पहुँचा रहे हैं, जिससे फसलों की पैदावार घट रही है और किसानों की आजीविका भी प्रभावित हो रही है।
लोग प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग कर रहे हैं ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस बीच, वन्यजीव कार्यकर्ताओं (wildlife activists) ने भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठायी है।
लेकिन सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व में हो रहे अवैध खनन के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करेगी और वन्यजीवों तथा पर्यावरण की सुरक्षा के लिए शीघ्र कदम उठाएगी।
इस बीच, ओडिशा का सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व अब आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय उद्यान (National Park) घोषित किया जा चुका है। यह जैव विविधता से भरपूर क्षेत्र राज्य का दूसरा राष्ट्रीय उद्यान बना है। पहले स्थान पर भितरकनिका (Bhitarkanika) है जो देश का १०७ वाँ राष्ट्रीय उद्यान है। सिमलीपाल रिज़र्व अपनी समृद्ध जैव विविधता और भव्य वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी, गौर (Indian bison) और चौसिंगा (चार सींगों वाला हिरण) शामिल हैं।
सिमलीपाल वर्ष 2009 से यूनेस्को (UNESCO) के “विश्व जीवमंडल आरक्षित नेटवर्क” (World Network of Biosphere Reserves) का हिस्सा भी है। यह पार्क पर्यटकों के लिए कई प्रकार की गतिविधियाँ प्रदान करता है, जिनमें सफारी (safaris) और प्रकृति शिविर (nature camps) शामिल हैं।
