समाचार है कि ईरान इजरायल संघर्ष में युद्ध विराम की घोषणा कर दी गयी है । यह घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने “पूर्ण और अंतिम” युद्ध विराम कहकर की है। ट्रंप ने कहा कि युद्ध 12 घंटे में समाप्त हो जाएगा। यह सूचना अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 23 और 24 जून के मध्य रात्रि को ट्विटर / ट्रुथ-सोशियल पर” कंपलीट एंड टोटल” सीज़फायर बताते हुए दी है। इसमें कहा गया है कि ईरान और इजरायल क्रमशः 6 घंटे और उसके बाद 12 घंटे तक युद्धविराम का पालन करेंगे तथा 24 घंटे के बाद 12 दिवसीय युद्ध को खत्म होना मान लिया जाएगा।
इसराइल ने भी आज यह घोषणा की कि वह राष्ट्रपति ट्रंप के द्विपक्षीय युद्ध विराम के प्रस्ताव पर संकल्प के साथ सहमति जताता है। लेकिन यदि ईरान ने प्रस्ताव का उल्लंघन किया तो वह बल प्रयोग भी करेगा। इसरायल ने राष्ट्रपति ट्रंप के रक्षात्मक सहयोग एवं ईरान के परमाणु ख़तरे की समाप्ति करने के लिए उनका आभार भी व्यक्त किया।
हालाँकि ईरान इसे स्वीकार करने के मूड में नहीं नजर आता है। ईरान के शीर्ष नेता अयातुल्लाह अली खमेनेई ने कहा कि उनका इतिहास सरेंडर का नहीं रहा है । ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरघाची ने अमेरिकी राष्ट्रपति के उसे दावे का खंडन किया कि ईरान और इजरायल के मध्य संघर्ष विराम पर मोहर लग गयी है। हालाँकि वे यह भी कहते हैं कि चूँकि हमले का आगाज़ इजरायल ने किया था उसे रोकने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। वह अगर हमले रोकने हैं तो हम भी जवाबी हमला नहीं करेंगे। विदेशमंत्री अब्बास अरघाची ने आज, मंगलवार को सुबह X पर एक पोस्ट जारी कर युद्ध विराम पर तेहरान की स्थिति स्पष्ट करते हुए यह बात की है। अरघाची अपनी पोस्ट पर लिखते हैं कि ईरान ने बार बार स्पष्ट किया है कि पहले इजरायल ने ईरान पर हमला किया था न कि हमने उन पर अटैक किया है। अभी तक किसी भी युद्धविराम या सैन्य अभियानों की समाप्ति पर कोई समझौता नहीं हुआ है। हालाँकि इजरायल अगर स्थानीय समयानुसार सुबह 4 बजे से पहले हमले बंद कर दे तो हमारा भी अपनी प्रतिक्रिया जारी रखने का कोई इरादा नहीं है। हमारे सैन्य अभियानों पर अंतिम निर्णय बाद में लिया जायेगा।
इससे पूर्व, इस संदर्भ में यह ज्ञात रहे कि ईरान व अमेरिका के बीच अप्रैल से जून के मध्य कई दौर की वार्ता भी चल रही थी। इस वार्ता के अंतिम व पाँचवें दौर में कुछ प्रगति होती नजर आ रही थी, हालाँकि यह निर्णायक नहीं थी। अमेरिका ईरान के में यूरेनियम संवर्धन को पूरी तरह से बंद करना चाहता था जबकि ईरान इसके लिए हर्गिज़ तैयार नहीं था। यह वार्ता ओमान की मध्यस्थता में, आमने सामने बैठ कर नहीं बल्कि संदेशों एवं पत्रों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से हुई थी। 21 जून को जब अमेरिका ने ईरानी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की, तो यह ठन्डे बस्ते में चली गयी और इसे स्थगित घोषित कर दिया गया।