जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री गुजरात के दौरे पर

जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला गुजरात के दो‑दिवसीय दौरे पर। 31 जुलाई 2025 की सुबह की शुरुआत उन्होंने साबरमती रिवर फ्रंट  पर  जॉगिंग के साथ की ।उन्होंने गाँधी नगर के  महात्मा गाँधी कन्वेंशन एंड एक्जीबिशन सेंटर  में आयोजित  ट्रेवल  एंड टूरिज्म फेयर (TTF ) का भी उद्घाटन किया।केवडिया में  Statue of Unity को देखा , साथ ही, उन्होंने Sardar Sarovar Dam का निरीक्षण किया।

गांधीनगर,31 जुलाई ! जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला गुजरात के दो‑दिवसीय दौरे पर 30 जुलाई 2025 की रात लगभग रात 11:13 बजे अहमदाबाद पहुँचे। उस रात ही उन्होंने गांधीनगर  में गुजरात के मुख्यमंत्री  भूपेंद्र पटेल से औपचारिक मुलाकात की।

31 जुलाई 2025 की सुबह की शुरुआत उन्होंने साबरमती रिवर फ्रंट  (Sabarmati Riverfront, Ahmedabad) पर  जॉगिंग के साथ की । सुबह की सैर के लिए अहमदाबाद में साबरमती रिवर फ्रंट को उमर अब्दुल्ला ने सबसे खूबसूरत जगहों में से एक बताया है। यह उनकी पहली सार्वजनिक गतिविधि थी और इसके लिए उन्होंने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट X (पूर्व Twitter) पर लिखा – “one of the nicest places I’ve been able to run”  उमर अब्दुल्ला ने Atal Foot Bridge का जिक्र भी किया ।

उमर अब्दुल्ला ने गाँधी नगर के  महात्मा गाँधी कन्वेंशन एंड एक्जीबिशन सेंटर  में आयोजित  ट्रेवल  एंड टूरिज्म फेयर (TTF ) का भी उद्घाटन किया। यह मेला 31 जुलाई 2025 से शुरू होकर 2 अगस्त 2025 तक चलेगा। इस दौरे में उन्होंने पर्यटन संवर्धन से जुड़े कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। अहमदाबाद में उन्होंने Travel Agents Society of Kashmir (TASK) द्वारा आयोजित एक पर्यटन प्रचार कार्यक्रम में भाग लिया और जम्मू एवं कश्मीर में पर्यटन बढ़ाने की अपील की, विशेष रूप से गुजरात से आने वाले पर्यटकों से। उन्होंने बताया कि हालाँकि पहलगाम आतंकी हमले के बाद पर्यटन में गिरावट आयी थी, लेकिन अब अब कश्मीर फिर से पर्यटकों से गुलजार होने लगा है। सिन्धु एयरपोर्ट पर प्रति दिन फ्लाइट संख्या 15 से बढ़कर लगभग 30 हो गयी है ।

इसी दिन , 31 जुलाई को उन्होंने केवडिया में  Statue of Unity को देखा जिसे उन्होंने राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक बताया। उमर अब्दुल्ला ने स्टैचू ऑफ यूनिटी की दिल खोलकर तारीफ की है। गुजरात दौरे पर पहुँचे जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है मैंने सोचा नहीं था, और यह देखकर ही समझा जा सकता है कि यह किस सोच और भाव से बनाई गयी है। सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें  हम आयरन मैन ऑफ इंडिया के नाम से जानते हैं, उनके लिए एक श्रद्धांजलि ही नहीं भारत की एक बड़ी पहिचान है।

साथ ही, उन्होंने Sardar Sarovar Dam का निरीक्षण किया और कहा कि यह सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जल‑संकट दूर करने में क्रांतिकारी साबित हुआ है । नर्मदा डैम परियोजना की तारीफ करते हुए उमर अब्दुल्ला ने उसे गुजरात की जीवन रेखा बताया है कहा है सोचिए ! डैम के जरिए कच्छ के  इलाकों में पानी पहुँचाया  जा रहा है। अब वहाँ खेती हो रही है, लोगों की जिंदगी बदल गयी है।

जम्मू कश्मीर के हालात का जिक्र करते हुए अब्दुल्ला कहते हैं हमारे लिए दुर्भाग्य की बात रही है कि जम्मू कश्मीर में हम ऐसे प्रोजेक्ट की कल्पना भी नहीं कर सके। हमें कभी पानी रोकने की इजाजत नहीं दी गयी। अब जब सिंधु जल संधि को रोका गया है तो उम्मीद है कि भविष्य में जम्मू कश्मीर में भी ऐसे प्रोजेक्ट होंगे जिनसे ना तो बिजली की कमी होगी नहीं पीने के पानी की। उन्होंने यह भी कहा कि Indus Water Treaty के निलंबन के बाद कश्मीर में जल और बिजली निर्माण परियोजनाएँ शुरू की जा सकती हैं, जैसे कि गुजरात में सरदार सरोवर बाँध परियोजना है।  उमर अब्दुल्ला ने इस अवसर पर जम्मू एवं कश्मीर की पूर्ण राज्य‑स्थिति (statehood) बहाल करने की मांग भी जोरशोर से की।

सोशल मीडिया  पोस्ट क्ष पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेर उनके दौरे की खुले दिल से प्रशंसा की टिपण्णी करते हुए कहा : “कश्मीर से केवडिया! श्री उमर अब्दुल्ला जी को साबरमती रिवरफ्रंट पर दौड़ का आनंद लेते और स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी देखने जाते देखकर अच्छा लगा। उनकी यह यात्रा एकता का एक महत्वपूर्ण संदेश देती है और हमारे साथी भारतीयों को भारत के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करने के लिए प्रेरित करेगी।”

उमर अब्दुल्ला ने भी प्रधानमंत्री के सन्देश पर x पर अपना पक्ष रखते हुए कहा “नरेंद्र मोदी जी, मेरा दृढ़ विश्वास है कि यात्रा क्षितिज और मन को व्यापक बनाती है। यह जम्मू-कश्मीर में हमारे लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि पर्यटन हमारी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसमें लाखों लोगों को लाभकारी रोजगार देने की क्षमता है। इसीलिए मैं और मेरे सहयोगी, विशेष रूप से इस वर्ष की शुरुआत में हुई दुखद घटनाओं के बाद, अधिक से अधिक भारतीयों को जम्मू-कश्मीर आने के लिए प्रेरित करने का प्रयास कर रहे हैं।”

यह यात्रा सिर्फ पर्यटन प्रचार अभियान तक सीमित नहीं रही, बल्कि राजनीतिक संदेश और राष्ट्रीय एकता का प्रतीकात्मक संकेत भी दे गयी।