दिल्ली उच्च न्यायलय द्वारा एम.सी.डी. का आदेश रद्द !

दिल्ली हाई कोर्ट ने आज अपने एक फैसले में अस्पताल और वाणिज्यिक इमारतों, जैसे मॉल इत्यादि के द्वारा पार्किंग शुल्क वसूल करने को कानूनी रूप से मान्य करार दे दिया। अदालत ने नगर निगम दिल्ली (एमसीडी) के इस दावे को खारिज कर दिया कि ऐसे शुल्क लेना अनुमति नहीं है।

नयी दिल्ली, 23 सितंबर 2025 !  दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि अस्पताल और वाणिज्यिक इमारतें जैसे मॉल, कानूनी रूप से पार्किंग शुल्क वसूल सकते हैं। अदालत ने कहा कि पार्किंग शुल्क वसूलना दिल्ली के एकीकृत भवन उपनियमों या मास्टर प्लान का उल्लंघन नहीं है, क्योंकि ये नियम निर्माण के बाद इमारत के उपयोग को विनियमित नहीं करते हैं।

अदालत ने नगर निगम दिल्ली (एमसीडी) के इस दावे को खारिज कर दिया कि ऐसे शुल्क लेना अनुमत नहीं है।
न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा इंड्रप्रस्थ मेडिकल कॉर्पोरेशन द्वारा दायर मामले की सुनवाई कर रही थीं, जो सरिता विहार में अपोलो अस्पताल चलाता है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा पहले ही नवंबर 2023 के एक मामले में निपटाया जा चुका है, जहाँ अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा था कि पार्किंग के लिए शुल्क लेना अनुमत है।

नवंबर 2023 के इस फैसले में, अदालत ने नगर निगम के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें पैसिफिक मॉल को पार्किंग शुल्क न वसूलने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने कहा कि दिल्ली के एकीकृत भवन-उपनियम केवल इमारत के निर्माण के पहलुओं को कवर करते हैं न कि किसी इमारत के निर्माण के बाद उसके उपयोग के किसी भी पहलू को। इसलिए वे पार्किंग शुल्क लगाने को विनियमित नहीं कर सकते।

एमसीडी ने दलील दी थी कि पार्किंग शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि पार्किंग क्षेत्र भवन के कुल फ्लोर एरिया (जिसे फ्लोर एरिया रेशियो या एफएआर कहते हैं) में शामिल नहीं होते। लेकिन अदालत ने कहा कि यह तर्क “त्रुटिपूर्ण” है।

पहले के आदेश में स्पष्ट किया गया था कि दिल्ली का मास्टर प्लान 2021 शहर की योजना में पार्किंग को शामिल करता है और व्यवसाय पार्किंग उपलब्ध कराने के लिए शुल्क ले सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट (SC) ने भी अप्रैल 2024 में एमसीडी की अपील खारिज कर दी थी और यह फ़ैसला अंतिम कर दिया था।

अपोलो अस्पताल की तरफ़ से वरिष्ठ वकील डॉ. ललित भसीन और उनकी टीम ने पक्ष रखा, जबकि एमसीडी की ओर से वकील सिद्धार्थ गुप्ता पेश हुए। कोर्ट ने कहा कि इस फ़ैसले के आधार पर लीज़ एग्रीमेंट में बदलाव की ज़रूरत पड़ सकती है और अपोलो अस्पताल को ऐसे बदलावों का अनुरोध करने की अनुमति दी। इसके साथ ही कोर्ट ने मामला बंद कर दिया और संबंधित कार्यवाही समाप्त कर दी।