भारत अमेरिका के बीच तनाव के बावजूद अलास्का में एक साथ युद्ध अभ्यास !

अलास्का (USA ), 2 सितम्बर 2025 ! भारत अमेरिका के रिश्तों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ट्रेड टैरिफ और पॉलिसी को लेकर भले ही तनाव बढ़ रहा हो, लेकिन उधर दोनों देशों की सेनाएँ अलास्का में साथ मिलकर सैन्य अभ्यास कर रही हैं। यह 21वें संस्करण का ‘युद्ध अभ्यास 2025’  है जो 1 से 14 सितंबर 2025 तक अमेरिका के फोर्ट वेनराइट, अलास्का में हो रहा है।

भारतीय सेना की मद्रास रेजीमेंट की एक बटालियन वहाँ पहुँच चुकी है। यह अभ्यास दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है, भले ही आर्थिक मुद्दों पर मतभेद हो।

युद्ध अभ्यास का मुख्य लक्ष्य दोनों सेनाओं के बीच सहयोग बढ़ाना, संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों के लिए तैयारी मजबूत करना और आंतरिक आतंकवाद विरोधी ऑपरेशंस में बेहतर ताल मेल विकसित करना है। यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के चैप्टर VII के तहत गैर पारंपरिक युद्ध (Sub Conventional Warfare )  पर फोकस करता है।

यह अभ्यास ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत की एक बड़ी सैनिक कार्यवाही के बाद पहला बड़ा संयुक्त अभ्यास है जिसमें भारत की आधुनिक युद्ध रणनीतियों ने अमेरिकी सेना को प्रभावित किया। आपसी तनाव के बावजूद यह अभ्यास रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करता है। यह बहु कार्य-क्षेत्रीय चुनौतियों (Multi -Domain Challenges ), जैसे ऊँचाई पर लड़ा जाने वाले युद्ध ( High Altitude Warfare ), इलेक्ट्रॉनिक युद्ध ( Electronic Warfare) आदि युद्ध शैलियों में बेहतर तालमेल प्रदर्शित करता है।

भारतीय दल में मद्रास रेजीमेंट की  एक बटालियन के जवान हैं जो भारत की सबसे पुरानी और जंगबाज रेजिडेंट रेजीमेंट में से एक है। इस बार भारतीय सैन्यदल में 400 से ज्यादा जवान है जो अब तक का सबसे बड़ा दल है, जो अमेरिकी सेना के 11वीं  एयरबोर्न डिविजन के आर्कटिक वूल्व्स ब्रिगेड कॉम्बैट टीम के फर्स्ट बटालियन, 5th इन्फेंट्री रेजीमेंट ‘बॉबकैट्स’ के साथ अभयास करेंगे।

भारतीय जवान 1 सितंबर को अलास्का पहुँच चुके हैं और सेरेमोनियल गैदरिंग के साथ अभ्यास शुरू भी हो चुका है। अमेरिकी जवान अलास्का के ठंडे मौसम में ट्रेनिंग के विशेषज्ञ हैं जो भारत के पहाड़ी इलाकों जैसी चुनौतियों से पार पाना सिखाएँगे। दोनों पक्षों के विषय वस्तुओं (Subject Matters  ) के विशेषज्ञ-दल बनाकर मानव रहित आकाशीय प्रणाली. UAS (Unmanned Arial System) यानि ड्रोन , Counter UAS  (ड्रोन का सामना करना), Informational  Warfare  Communication (युद्ध सम्बन्धी सूचनाओं का आदान प्रदान)   Warfare  Communication और Logistics यानि सैन्यतंत्र   पर चर्चा करेंगे।

यह 14 दिनों का अभ्यास कई तरह के तकनीकी अभ्यासों पर आधारित है। मुख्य फोकस Heliborn  Operations (हेलीकॉप्टर से उतरना और हमला), Serveillance  Resource (चौकसी संसाधन) &  Unmanned Arial System (ड्रोन) का इस्तेमाल, Rock  Craft (चट्टानों पर युद्ध), Mountain  Warfare (पहाड़ी जंग), Casualty Evacuation (घायलों को निकालना), Combat  Medical  Aid  (लड़ाई में प्राथमिक उपचार) और Artilary (तोप) , Aviation Ware (हवाई सामग्री) तथा Electronic Warfare सिस्टम (इलेक्ट्रॉनिक युद्ध) के समन्वित प्रयोग पर है।

अभ्यास के आखिर में संयुक्त व्यावहारिक नियम (Joint Practical Manuals) होंगे जिसमें लाइफ फायर एक्सरसाइज, High Altitude  Warfare  Scenarios (ऊँचाई पर जंग के दृश्य) शामिल होंगे। यह सब Un Peacekeeping Challenges (अशांति फ़ैलाने वाले)  और Multi -Domain Challenges (बहु कार्य-क्षेत्रीय चुनौतियों) के लिए सामर्थ्य बढ़ाने पर केंद्रित है।

अलास्का का ठंडा और पहाड़ी इलाका भारतीय जवानों के लिए नयी चुनौती होगा लेकिन इससे आर्कटिक यानि बर्फीले युद्धों के लिए कौशल (Skill) प्राप्त होगा। कुल मिलाकर दोनों सेनाएँ सर्वोत्तम अभ्यास में साझेदारी करेंगी जो वास्तविक युद्ध संचालन में मददगार होंगी।

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