राजस्थान में सब इंस्पेक्टर भर्ती 2021 को रद्द करने के एकल पीठ के आदेश पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच की रोक !

जयपुर, 8 सितम्बर 2025 ! राजस्थान में सब इंस्पेक्टर (SI ) भर्ती 2021 रद्द करने के एकल पीठ के आदेश पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने रोक लगा दी। हालाँकि चयनित एस.आई. की फील्ड पोस्टिंग पर रोक लगी रहेगी। इस सन्दर्भ में कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किये हैं।

चयनित एस.आई.की ओर से सीनियर एडवोकेट आर.एन. माथुर ने पैरवी की थी। सोमवार को जस्टिस एस.पी. शर्मा की खंडपीठ में अमर सिंह और अन्य उप-निरीक्षकों की अपील पर सुनवाई हुई।

अपील में एकल पीठ के फैसले को चुनौती देते हुए उसे गलत बताया गया था। चयनित एस.आई. का कहना था कि सरकार भर्ती रद्द करने के पक्ष में नहीं थी । एसओजी (Special Operation Group) भी पेपर लीक में शामिल लोगों को पकड़ रही थी। भर्ती में सही और गलत का चुनाव संभव है ! ऐसे में पूरी भर्ती को रद्द किए जाने का फैसला कानून सम्मत नहीं है।

राजस्थान हाई कोर्ट ने 28 अगस्त को  एस.आई.  भर्ती 2021 रद्द कर दी थी, जिसमें 859 पदों के लिए परीक्षा हुई थी। बता दें, जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और धांधली का हवाला देते हुए इसे रद्द करने का आदेश दिया था। जस्टिस जैन ने फैसला सुनाते हुए 202 पेज के आदेश में कहा था इस भर्ती का पेपर पूरे प्रदेश में फैला। ब्लूटूथ गैंग के पास भी भर्ती का पेपर पहुँचा था। पेपर लीक में आर.पी.एस.सी. के 6 सदस्यों की भूमिका थी। इन हालातो में इस भरती को जारी नहीं रखा जा सकता है ! कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए थे कि साल 2025 की भर्ती में इस भर्ती के पद को भी जोड़ा जाए। वहीँ एस.आई. भर्ती 2021 के सभी अभ्यर्थियों को उसमें फिर से शामिल किया जाए।

इस फैसले को चुनौती देते हुए चयनित उम्मीदवारों ने डिवीजन बेंच में अपील दायर की थी।

उपनिरीक्षक परीक्षा 2021 में उप निरीक्षक (आई पुलिस) के 746 पद, उप निरीक्षक (IB) 64 पद, प्लाटून कमांडर (RAC) 38 पद तथा उप निरीक्षक (MBC)   मिलाकर कुल पदों की संख्या 859 थी।

याचिका कर्ताओं के वकील हरेंद्र नील और लीगल एक्सपर्ट  प्रतीक कासलीवाल  बताते हैं कि आमतौर पर ईमानदारी से पढ़कर परीक्षा देने वालों की सँख्या हमेशा ज्यादा होती है। ईमानदार व्यक्तियों के कारण ही भर्ती रद्द जैसे फसलों को बड़ी अदालत में स्टे मिलने की संभावना ज्यादा रहती है।

स्टे देने की संभावना इसलिए भी ज्यादा होती है क्योंकि जो नौकरी ज्वाइन कर चुके होते हैं उनके लिए तो एक तरह से, आदेश से ही तत्काल बर्खास्तगी हो चुकी होती है इसलिए बड़ी अदालत सुनवाई पूरी होने तक एक बार यथा स्थिति से स्टे बरकरार रखती है।

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