सूरत. चिकित्सक की लापरवाही के कारण हुई मरीज की मौत के 20 साल पुराने मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने आरोपी चिकित्सक को दोषी करार देते हुए दो साल की कैद और दस हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
सहायक लोक अभियोजक आरएस मोढ़ के मुताबिक, चिकित्सक गजानंद भावलाल पाटिल के खिलाफ वर्ष 2004 में मामला दर्ज हुआ था। डॉ.गजानंद के पास बीईएमएस की डिग्री है और वे नवागाम-डिंडोली के बालाजी नगर में श्रद्धा क्लीनिक के नाम से प्रैक्टिस करते थे। 24 मई, 2004 को दिगम्बर निंबा नाम का मरीज उपचार के लिए क्नीनिक में आया था, तभी इंजेक्शन लगाने का अधिकार नहीं होने के बावजूद डॉ.गजानंद ने मरीज को इंजेक्शन लगाया था। इंजेक्शन के असर के कारण मरीज के शरीर में जहर फैल गया था और उसकी मौत हो गई थी। पुलिस ने मामला दर्ज कर चिकित्सक को गिरफ्तार कर लिया था। चार्जशीट पेश होने के बाद से मामले की सुनवाई अतिरिक्त जेएमएमसी कोर्ट में चल रही थी। सुनवाई के दौरान सहायक लोक अभियोजक आरएस मोढ़ और ज्योति पटेल आरोपों को साबित करने में विफल रही। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोपित चिकित्सक गजानंद पाटिल को दोषी मानते हुए दो साल की कैद और दस हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।