
कमाऊ पत्नी पति से भरण-पोषण की हकदार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने परिवार न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पति को अपनी पत्नी को प्रति माह 5,000 रुपये भरण-पोषण देने का निर्देश दिया गया था। उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा है कि जो पत्नी स्वयं कमाती है और अपने पति की तुलना में बेहतर जीवन स्तर जी रही है, वह दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत पति से भरण-पोषण की मांग करने की हकदार नहीं है।
प्रयागराज, 13 दिसंबर 2025 ! इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने परिवार न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पति को अपनी पत्नी को प्रति माह 5,000 रुपये भरण-पोषण देने का निर्देश दिया गया था। यह आदेश न्यायमूर्ति मदन पाल सिंह ने गौतम बुद्ध नगर निवासी अंकित साहा द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर पारित किया।
उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा है कि जो पत्नी स्वयं कमाती है और अपने पति की तुलना में बेहतर जीवन स्तर जी रही है, वह दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत पति से भरण-पोषण की मांग करने की हकदार नहीं है।
परिवार न्यायालय ने पति को भरण-पोषण देने का निर्देश इस आधार पर दिया था कि दोनों पक्षों की आय को बराबर किया जा सके, जबकि पत्नी स्वयं कार्यरत है और सीनियर सेल्स कोऑर्डिनेटर के रूप में प्रति माह लगभग 36,000 रुपये कमा रही है।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि धारा 125 सीआरपीसी का उद्देश्य उन व्यक्तियों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, जो स्वयं अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं। यदि पत्नी स्वयं पर्याप्त रूप से सक्षम है और पति से बेहतर आर्थिक स्थिति में है, तो केवल आय के संतुलन के लिए पति पर भरण-पोषण का दायित्व नहीं डाला जा सकता।

