
पूरे सप्ताह दिल्ली-NCR में भूकंप के झटके !
दिल्ली से सटे झज्जर-रोहतक में एक हफ्ते से लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं !10 जुलाई को दिल्ली-एनसीआर में गुरुवार सुबह-सुबह भूकंप के झटके महसूस किये गये ! फिर 11 जुलाई को इसी क्षेत्र में दो झटके लगे ! तत्पश्चात 17 जुलाई की रात को 12:46 पर रोहतक में 3.33 तीव्रता का भूकंप मासूस किया गया ! आठवें दिन यह भूकंप का चौथा बड़ा झटका था !
नयी दिल्ली, 18 जुलाई ! दिल्ली से सटे झज्जर-रोहतक में एक हफ्ते से लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं ! क्या यह किसी बड़े खतरे की ऒर संकेत है ? वैज्ञानिक क्या कहते हैं ?
पिछले दिनों लगभग एक सप्ताह से दिल्ली के पास हरियाणा में झज्जर और रोहतक में भूकंप के झटके महसूस किये जा रहे हैं ! 10 जुलाई से अब तक कई बार यहाँ की धरती हिल चुकी है , जिससे स्वाभाविक रूप से लोगों में डर और चिंता बढ़ गयी है ! यह बात विचारणीय है कि क्या यह छोटे-छोटे झटके किसी बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहे हैं ?
पिछले सप्ताह बृहस्पतिवार , 10 जुलाई को दिल्ली-एनसीआर में गुरुवार सुबह-सुबह भूकंप के झटके महसूस किये गये ! इसका केंद्र झज्जर था जहाँ रिक्टर पैमाने पर 4.4 तीव्रता का भूकंप का झटका लगा , जिसने दिल्ली-एनसीआर, नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद तक भूमि को झकझोर दिया ! 10 सेकंड तक हिलती धरती के कम्पन से घबरा कर लोग घरों और दफ्तरों से निकल कर भागने लगे !
फिर 11 जुलाई को इसी क्षेत्र में दो झटके लगे जिनमें से एक 3.73 तीव्रता का भूकंप आया जिसका केंद्र भूमि के भीतर 10 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था !
तत्पश्चात 17 जुलाई की रात को 12:46 पर रोहतक में 3.33 तीव्रता का भूकंप मासूस किया गया ! आठवें दिन यह भूकंप का चौथा बड़ा झटका था !
कुल मिलाकर पिछले 7 दिनों में 4 से अधिक भूकंप 2.5 तीव्रता से ऊपर झज्जर-रोहतक क्षेत्र में दर्ज किए गये हैं, हालाँकि इन झटकों से कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी चिंता जाहिर की ! कईयों ने इसे लंबा झटका बताया जो लोगों में खौफ पैदा कर रहा है!
इस विषय में वैज्ञानिक क्या कहते हैं ? – आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक कहते हैं कि म्यांमार और बैंकॉक में बड़े पैमाने पर नुकसान पहुँचाने वाले भूकंप का मूल कारण है – सागाइंग फाल्ट , जिसे इंटरनेट पर मैप के माध्यम से आसानी से देखा जा सकता है ! यहाँ के अर्थ साइंसेज विभाग के प्रोफेसर जावेद मलिक बताते हैं कि सागाइंग फाल्ट बहुत खतरनाक है ! इधर सिलीगुड़ी में गंगा-बंगाल फाल्ट है ! इन दोनों फॉल्टों के दरमियान कई अन्य फॉल्ट लाइन्स हैं ! ऐसी स्थिति में संभव है कि एक फॉल्ट सक्रिय होने से दूसरा फाल्ट भी सक्रिय हो जाए ! प्रोफेसर मलिक कहते हैं कि सागाइंग फाल्ट एक बहुत पुराना फाल्ट है जो कि उत्तर पूर्व के ‘शियर जोन’ अराकान से अंडमान और सुमात्रा तक के सबडक्शन जोन का ही एक हिस्सा है और यह फॉल्ट जमीन के ऊपर भी दिखाई देता है !
यूरोप और जापान के जिन भू वैज्ञानिकों ने सांगाइन जोन पर रिसर्च की है , उनका कहना है कि इस जोन में भूकम्पों की आवृति 150 – 200 वर्षों में होती है ! यानि इतने समय में यहाँ एक बार बड़ा भूकंप आता है !
प्रोफेसर मलिक कहते है कि हमें केवल प्लेट सीमा के आसपास भूकंप नहीं देखने चाहिए ! जोन 5, जिसमें उत्तर – पूर्व और कश्मीर शामिल है , वहाँ शोध की अधिक आवश्यकता है ! यह वह क्षेत्र है जहाँ भूकंप के प्रभाव को कम करने पर काम करना चाहिए !
प्रोफेसर मलिक का यह भी कहना है कि फाल्ट लाइनें 100 से 150 किलोमीटर तक की गहराई तक जा सकती हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि 5, 10 या 20 किलोमीटर की गहराई वाले भूकंप ज्यादा नुक्सान नहीं पहुँचा सकते हैं ! वे ज्यादा नुकसानदायक भी हो सकते हैं क्यों कि वे कम गहराई से भी ऊर्जा प्राप्त कर लेते हैं !
दिल्ली से कोलकाता की दूरी 1500 किलोमीटर है ! क्या दिल्ली और कोलकाता दोनों भूकंप के निशाने पर है ? इस बेल्ट में कुछ दिन पहले भी भूकंप आये थे जो छिछले और कमजोर थे ! लेकिन यहाँ भी बीच-बीच में बड़े भूकंप के आने की आशंका बनी रहती है ! अगर ऊर्जा का दबाव ज्यादा हो जाता है और यह एक साथ तेज गर्जना के साथ निकलने का प्रयास करता है तो वह भूकंप हल्का होने के बावजूद भी भारी नुक्सान कर सकता हैं ! पिछले लगभग 25 वर्षों से दिल्ली एनसीआर में प्रति वर्ष औसतन 15-20 छोटे भूकंप आते रहते हैं लेकिन अभी तक 5 रिक्टर से ऊपर की तीव्रता का भूकंप नहीं आया !
आईआईटी रुड़की के भूकंप-विज्ञानी प्रोफेसर कमल भी कहते हैं कि दिल्ली एनसीआर और उसके आसपास के इलाके भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है ! दिल्ली से हिंदूकुश और हिमालय के बीच जो रेड लाइन है वह बेहद संवेदनशील है ! दोनों ही जगहों ( हिन्दुकुश या हिमालय) पर 7 या 8:30 का भूकंप आता है तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भारी तबाही मच सकती है ! दिल्ली एनसीआर पर भूकंप का बड़ा खतरा हमेशा से बना है, बना भी रहेगा ! इसके पीछे तीन प्रमुख वजह है !
1. दिल्ली – एनसीआर क्षेत्र हिमालय के टकराव जोन से मात्र 250 km दूर है ,
2. दिल्ली NCR से 3 फाल्ट लाइन्स गुजरती हैं ,
3. दिल्ली – NCR का इलाका भूकंप के चौथे जोन में है , यानि सबसे खतरनाक पाँचवें जोन से ठीक नीचे वाला जोन !
प्रोफेसर कमल कहते हैं कि भूकंप की भविष्यवाणी संभव नहीं है किन्तु इन छोटे झटकों से सावधान रहना ज़रूरी है ! वे सलाह देते हैं कि सरकार और लोग मिल कर इमारतों को भूकंपरोधी बनाएँ !
अभी चिंता की कोई बात नहीं है लेकिन सावधानी ज़रूरी है ! प्रकृति से हम भी छेड़छाड़ करने से चूकते नहीं ! धरती की इस हलचल से प्रकृति भी हमें अपनी ताकत का एहसास दिलाती है ! हमें इसके साथ सामंजस्य बनाना ही होगा !