यूरोपीय देशों द्वारा अमेरिका के लिए डाक सेवाओं पर रोक !

भारत के बाद कई यूरोपीय देशों ने भी अमेरिका के लिए अपनी डाक सेवाएँ बंद कर दी हैं। इनमें ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी सहित अन्य कई देश शामिल हैं । ऑस्ट्रेलिया और  न्यूजीलैंड ने भी इन पर रोक लगाने की घोषणा की है।

भारत के बाद कई यूरोपीय देशों ने भी अमेरिका के लिए अपनी डाक सेवाएँ बंद कर दी हैं। इनमें ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी सहित अन्य कई देश शामिल हैं । ऑस्ट्रेलिया और  न्यूजीलैंड ने भी इन पर रोक लगाने की घोषणा की है।

यह सेवाएँ निलंबित किये जाने का कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नये टैरिफ नियम हैं। ट्रम्प प्रशासन ने इसी वर्ष 30 जुलाई को आदेश जारी करके  $800 यानी रु 70,000/= तक की वस्तुओं पर मिलने वाली टैरिफ छूट को 29 अगस्त से समाप्त कर दिया था।

यूरोपीय डाक संगठन ‘पोस्ट यूरोप’ और दूसरे डाक विभागों का कहना है कि अमेरिका द्वारा नये नियमों पर अब तक स्पष्ट जानकारी नहीं दी गयी है इसलिए  डाक से सामान भेजने की सेवाएँ फिलहाल रोकी जा रही हैं ।

भारत के संचार मंत्रालय के अनुसार अमेरिका की टैरिफ लागू करने की और वसूल करने की प्रक्रिया स्पष्ट नहीं है। इसलिए भारत में अभी अमेरिका के लिए डाक सेवाएँ अस्थायी रूप से निलंबित रहेगी। भारतीय डाक विभाग 25 अगस्त से अमेरिका के लिए ज्यादातर डाक सामानों की बुकिंग सस्पेंड कर देगा। जैसा कि बताया गया है, फिलहाल यह फैसला अस्थायी रूप से लागू होगा। शुक्रवार, 23 अगस्त को डाक विभाग ने एक प्रेस नोट जारी करके इसकी जानकारी दी थी।

वहीं जर्मनी की ‘डॉयचे’ पोस्ट ने कहा कि निजी और व्यवसायी ग्राहकों के लिए पार्सल भेजने पर अस्थायी रोक लगायी गयी है। इटली के ‘पोस्ट’ ने 23 अगस्त से इस सेवा पर रोक लगा दी है। हालाँकि यहाँ से सामान्य पत्र भेजे जा सकते हैं।

दूसरी और ब्रिटेन की ‘रॉयल मेल  सर्विस’ ने अमेरिका भेजे जाने वाले सभी पैकेज रोक दिये हैं। इसके अलावा $100 से अधिक कीमत के समान पर 10% का शुल्क भी लगाया जाएगा। फ्रांस और न्यूजीलैंड ने भी टैरिफ वसूली की व्यवस्था साफ नहीं होने के चलते इसे रोक दिया है।

भारत के परिप्रेक्ष्य में :- यह जानें कि ट्रम्प प्रशासन ने 30 जुलाई को एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर (नंबर 14324) जारी किया, जिसके तहत 800 डॉलर (करीब 70 हजार रुपए) तक की कीमत वाले सामान पर दी जाने वाली ड्यूटी-फ्री छूट को 29 अगस्त 2025 से खत्म कर दिया जाएगा।

इस के बाद भारत की ओर से, अमेरिका जाने वाले सभी डाक सामान, चाहे उनकी कीमत कितनी भी हो, उन पर कस्टम ड्यूटी लगेगी। ये ड्यूटी देश-विशेष इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर एक्ट (IEEPA) टैरिफ स्ट्रक्चर के हिसाब से होगी। इस वजह से डाक विभाग ने 25 अगस्त से अमेरिका के लिए ज्यादातर डाक सेवाएँ टेम्पररी तौर पर बंद करने का फैसला किया है।

लेकिन यह पाबन्दी सभी तरह के पोस्टल सर्विस पर नहीं, बल्कि  लेटर तथा डॉक्यूमेंट और 100 डॉलर (करीब 8700 रुपए) तक की कीमत वाले गिफ्ट आइटम्स (इन पर ड्यूटी से छूट रहेगी) को छोड़ कर , शेष सभी तरह के डाक सामानों पर लगाई जाएगी।

यह भी जान लें कि यह रोक इसलिए लगायी जा रही है क्योंकि अमेरिकी कस्टम्स और बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) ने 15 अगस्त को कुछ दिशा-निर्देश जारी किये थे, लेकिन ड्यूटी वसूलने और जमा करने की प्रोसेस और क्वालिफाइड पार्टीज (किन सामानों को भेजा जा सकेगा) से जुड़े कई जरूरी नियम अभी तक भी स्पष्ट नहीं हैं। इस वजह से अमेरिका जाने वाले हवाई कैरियर्स ने कहा है कि वो 25 अगस्त के बाद डाक सामान स्वीकार नहीं कर पाएँगे, क्योंकि उनके पास टेक्निकल ऑपरेशनल तैयारियाँ पूरी नहीं हैं। जैसे ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी, यह अस्थायी रोक हटा ली जाएगी।

अगर किसी ने पहले से डाक सामान बुक किया है और अब उसे अमेरिका नहीं भेजा जा सकता, तो वो अपने डाक पेमेंट की वापसी के लिए आवेदन कर सकते हैं। डाक विभाग ने ग्राहकों को होने वाली असुविधा के लिए खेद जताया है और भरोसा दिया है कि वो जल्द से जल्द पूरी सेवाएँ बहाल करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है। ये टेम्पररी सस्पेंशन है, कहा नहीं जा सकता कि ये कब तक चलेगा। डाक विभाग स्थिति पर नजर रख रहा है और जैसे ही अमेरिका से साफ दिशानिर्देश मिलेंगे, सेवाएँ फिर से शुरू करने की कोशिश की जाएगी।