
वन विभाग ने महाराष्ट्र में आदमखोर तेंदुआ किया ढेर !
महाराष्ट्र के पुणे ज़िले के शिरूर तहसील के पिम्परखेड गाँव में पिछले एक महीने से दहशत फैलाने वाले तेंदुए को आखिरकार वन विभाग ने मार गिराया। यह वही तेंदुआ था जिसने 12 अक्टूबर से इस इलाके में तीन ग्रामीणों की जान ले ली थी। स्थानीय लोगों के अनुसार, तेंदुए ने पहले एक 13 वर्षीय बालक पर हमला किया था, इसके बाद एक 5 वर्ष की बच्ची और 82 वर्ष की बुजुर्ग महिला को उसने अपना शिकार बनाया।
पुणे, 5 नवम्बर 2025 ! महाराष्ट्र के पुणे ज़िले के शिरूर तहसील के पिम्परखेड गाँव में पिछले एक महीने से दहशत फैलाने वाले तेंदुए को आखिरकार वन विभाग ने मार गिराया। यह वही तेंदुआ था जिसने 12 अक्टूबर से इस इलाके में तीन ग्रामीणों की जान ले ली थी। स्थानीय लोगों के अनुसार, तेंदुए ने पहले एक 13 वर्षीय बालक पर हमला किया था, इसके बाद एक 5 वर्ष की बच्ची और 82 वर्ष की बुजुर्ग महिला को उसने अपना शिकार बनाया। इस सिलसिले में पूरे इलाके में भय का माहौल था और ग्रामीण कई दिनों से घरों से बाहर निकलने से भी डर रहे थे। तेंदुए के आतंक से जुन्नार, शिरूर, अंबेगाँव और खेड ताल्ल्लुके त्रस्त थे।
वन विभाग ने ग्रामीणों की शिकायत पर गाँव और उसके आसपास कई पिंजरे लगाये थे, साथ ही निगरानी के लिए ट्रैप कैमरे और ड्रोन भी तैनात किए गये। कुछ दिनों की कोशिश के बाद विभाग के अधिकारियों ने इस तेंदुए की पहचान “नरभक्षी” के रूप में की, क्योंकि डीएनए और पैरों के निशान से स्पष्ट हुआ कि यही तीनों हमलों के लिए जिम्मेदार था।
वन अधिकारियों ने महाराष्ट्र सरकार से औपचारिक अनुमति लेकर रविवार देर रात विशेष ऑपरेशन चलाया। प्रशिक्षित निशानेबाजों ने तेंदुए को जंगल के किनारे देखा और उसे गोली मार दी। तेंदुए की मौत की पुष्टि सोमवार सुबह की गयी।
गाँव में तेंदुए की मौत के बाद लोगों ने राहत की साँस ली, लेकिन साथ ही उन्होंने वन विभाग पर देर से कार्रवाई करने का आरोप लगाया। ग्रामीणों का कहना था कि अगर शुरुआती हमले के बाद तुरंत कदम उठाए जाते तो दो और जानें नहीं जातीं। कई संगठनों ने इस घटना को “मानव-वन्यजीव संघर्ष” का गंभीर उदाहरण बताया और मांग की कि राज्य सरकार प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं और इंसानों के बीच संपर्क कम करने के लिए स्थायी उपाय करे।
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों के सिकुड़ने और भोजन की कमी के कारण तेंदुए अब मानव बस्तियों के करीब आने लगे हैं। “मनुष्यों और जानवरों के बीच संतुलन बनाए रखना अब चुनौती बन चुका है। केवल मार देना समाधान नहीं है, बल्कि हमें प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखना होगा,” एक पर्यावरणविद् ने कहा।
पिम्परखेड की यह घटना महाराष्ट्र में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीर चेतावनी है। वन विभाग ने भले ही एक तेंदुए के आतंक को खत्म कर दिया हो, लेकिन असली समाधान तभी संभव है जब जंगलों के संरक्षण, पशुओं के प्राकृतिक भोजन की उपलब्धता और ग्रामीणों की सुरक्षा तीनों पर समान रूप से ध्यान दिया जाए।
