पूर्व नक्सली कमांडर का नक्सली काडर से हथियार छोड़ने का आग्रह !

पूर्व नक्सली कमांडर गाँधी टाटे उर्फ़ कमलेश उर्फ़ अरब, ने अपने साथियों से शस्त्र समर्पित करने का आग्रह किया है और स्वीकार किया है कि उनकी संगठनात्मक मुहिम अपने घोषित उद्देश्य से अभी बहुत दूर है। उनका कहना है कि अब समय आ गया है कि सक्रिय सदस्य अपनी बंदूकें नीचे रखें और मुख्यधारा में शामिल हों।

नारायणपुर (छत्तीसगढ़), 5 नवंबर 2025 ! पूर्व नक्सली कमांडर गाड़ी टाटे उर्फ़ कमलेश उर्फ़ अरब, ने अपने साथियों से शस्त्र समर्पित करने का आग्रह किया है और स्वीकार किया है कि उनकी संगठनात्मक मुहिम अपने घोषित उद्देश्य से अभी बहुत दूर है। उनका कहना है कि अब समय आ गया है कि सक्रिय सदस्य अपनी बंदूकें नीचे रखें और मुख्यधारा में शामिल हों। उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूँ कि बाकी सभी नक्सलियों को अब समर्पण कर देना चाहिए, क्योंकि हम अभी भी अपने लक्ष्य के करीब नहीं हैं।”

कमांडर गाड़ी टाटे ने यह भी कहा कि पिछले कुछ अवधि में कई शीर्ष स्तर के सदस्यों ने हथियार समर्पित किए हैं और इस कार्रवाई ने अन्य सदस्यों में निराशा और विश्वासघात की भावना उत्पन्न की है। इससे यह संकेत मिलता है कि इस संघर्ष-कौशल आंदोलन ने अपनी रणनीति और उद्देश्य में कमी महसूस की है।
उनके मुताबिक, कई क्रियाशील काडर्स अब उन वादों और आदर्शों में विश्वास खो चुके हैं जिनके नाम पर यह आंदोलन चला था। उन्होंने कहा कि उन्हें अब लगता है कि लड़ाई के पीछे जो मूल उद्देश्य था — सामाजिक बदलाव, आदिवासी और वंचित वर्गों का उत्थान — वह अब वास्तविक रूप से संचालित नहीं हो पा रहा है। इसीलिए उन्होंने कहा है कि अब समर्पण और भावी पुनर्समायोजन को एक समाधान के रूप में देखना चाहिए।

उन्होंने विशेष रूप से यह संदेश दिया कि जो लोग अब भी जंगलों में बंदूक लिये घूम रहे हैं, उन्हें एहसास होना चाहिए कि उनके प्रयास अब उस तरह से काम नहीं कर रहे हैं जैसे पहले हुआ करते थे। उन्होंने कहा कि आगे झड़पों में उनके और परिवारों के लिए और अधिक खतरा है, और देर होने तक इस संघर्ष को जारी रखना खुद के लिए भी भारी जंजाल बन सकता है।

सुरक्षा बलों और राज्य-प्रशासन ने पिछले तकरीबन कुछ महीनों में लगातार यह प्रयास किया है कि नक्सली क्षेत्राधिकारों में राजनैतिक एवं विकास-उद्यमों को बढ़ावा दे कर विद्रोह की जड़ों को कमजोर किया जाए।ज्ञातव्य है कि  पिछले लगभग 2 माह में आत्मसमर्पण करने वाले  18 से 50 वर्ष के बीच की उम्र के 52 महिलाओं और 58 पुरुषों सहित 110 नक्सलवादी वर्तमान में व्यसायिक प्रशिक्षण लेकर नये जीवन में प्रवेश करने के लिए तत्पर हैं। इस पृष्ठभूमि में इस तरह के समर्पण के अनुरोध को एक महत्वपूर्ण संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि बचे-खुचे सक्रिय नक्सली समूहों के भीतर भी ‘लड़ाई जारी रखना’ विकल्प अब आसान नहीं रहा।