पीएम मोदी के 75वें जन्मदिन पर गोल्डी सोलर ने दुनिया का सबसे बड़ा सोलर मॉड्यूल बनाया

सूरत, गुजरात, 17 सितंबर 2025: भारत की सबसे बड़ी सोलर कंपनी गोल्डी सोलर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75 वें जन्मदिन पर दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पीवी मॉड्यूल लॉन्च किया है। इस मॉड्यूल को ‘नमो सौर सम्राट’ नाम दिया गया है, जिसे गुजरात के कोसम्बा स्थित कंपनी के प्लांट में बनाया गया है। यह प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने की उनकी प्रतिबद्धता के लिए एक सम्मान है। यह सोलर पैनल सिर्फ एक उपकरण नहीं, बल्कि भारतीय तकनीक और इनोवेशन की शक्ति का प्रतीक है। गोल्डी सोलर का कहना है कि यह पहल प्रधानमंत्री के सम्मान में है, जिनके प्रयासों से भारत आज वैश्विक सौर ऊर्जा क्षेत्र में सबसे आगे है। कंपनी ने यह भी कहा कि भले ही सोलर निर्माण की शुरुआत चीन ने की हो, लेकिन भारत आज आत्मनिर्भरता में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है।

यह मॉड्यूल प्रतीकात्मक रूप से 75 इंच चौड़ा और 150 इंच लंबा बनाया गया है, जो प्रधानमंत्री के 75वें जन्मदिन को दर्शाता है। 1575 Wp की क्षमता वाला यह मॉड्यूल आकार और दक्षता के मामले में वैश्विक सौर उद्योग के लिए एक नया मानक तय करता है। इसमें 340 HC TOPCon (Tunnel Oxide Passivated Contact) सेल तकनीक का उपयोग किया गया है, जो ऊर्जा की हानि को कम करके दक्षता और पावर आउटपुट को बढ़ाती है। यह अगली पीढ़ी की तकनीक गोल्डी सोलर की भविष्य तैयार निर्माण क्षमता को दिखाती है।

इस अवसर पर, गोल्डी सोलर के संस्थापक और प्रबंध निदेशक कैप्टन ईश्वर ढोलकिया ने इस मौके पर कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत लगातार स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ रहा है। हमने 2030 तक 500 गीगावाट (GW) नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का जो लक्ष्य रखा था, उसका आधे से ज्यादा हिस्सा हम पहले ही पा चुके हैं। ‘नमो सौर सम्राट’ एक ऐतिहासिक कामयाबी है। यह भारत की आत्मनिर्भरता और दुनिया भर में हमारे शानदार निर्माण का प्रतीक है। यह प्रधानमंत्री को हमारी सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है और यह हरा-भरा और आत्मनिर्भर भारत बनाने का हमारा वादा है, जो आने वाली पीढ़ियों को भी ऊर्जा देगा।”

‘नमो सौर सम्राट’ केवल एक सोलर मॉड्यूल नहीं है, बल्कि यह भारत की तकनीकी क्षमता, आत्मनिर्भरता और हरित भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी के 75वें जन्मदिन पर लॉन्च किया गया यह मॉड्यूल भारत की स्वच्छ ऊर्जा यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह उपलब्धि दिखाती है कि भारत न सिर्फ वैश्विक सौर ऊर्जा परिवर्तन में अग्रणी है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए हरित और आत्मनिर्भर भारत की मजबूत नींव भी रख रहा है।

 

 

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