मुज़फ़्फ़राबाद (पीओजेके), 16 अक्टूबर 2025 ! पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में जनता का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है क्योंकि स्थानीय लोग हाल ही में हुई प्रदर्शनों के दौरान मारे गये निर्दोष युवाओं के लिए जवाबदेही और न्याय की मांग कर रहे हैं। इन प्रदर्शनों का नेतृत्व ज्वाइंट अवामी एक्शन कमेटी (जेएएसी) द्वारा किया गया था।
क्षेत्र ने हाल के सप्ताहों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखे हैं, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों के हजारों लोग सड़कों पर उतर आये हैं। वे सरकार की लापरवाही, कमजोर प्रशासन और मूल अधिकारों व सुविधाओं के दमन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
ज्वाइंट अवामी एक्शन कमेटी के नेतृत्व में हुए इन प्रदर्शनों ने पीओजेके के विभिन्न समुदायों को एकजुट कर दिया है, जो अपने सामूहिक और बुनियादी मुद्दों के लिए शांतिपूर्ण संघर्ष कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर मुद्रास्फीति (महंगाई), बिजली दरों, बेरोजगारी और खराब बुनियादी ढाँचे जैसी पुरानी शिकायतों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। ये समस्याएँ मौजूदा प्रशासन के तहत और भी गंभीर हो गयी हैं।
AAC की ओर से बोलते हुए, समिति के एक नेता ने उनके आंदोलन की संगठित और शांतिपूर्ण प्रकृति पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि समुदाय अपने साझा मुद्दों को उठाने के लिए एक मंच के तहत एकजुट हो रहे हैं, जो माँग-पत्र (Charter of Demands) के 38 बिंदुओं द्वारा निर्देशित हैं, जिनमें उनके संघर्ष के मूल उद्देश्यों का विवरण दिया गया है।
उन्होंने कहा, “इस आंदोलन के माध्यम से पूरी जागरूक कश्मीरी जनता — भिंबर से लेकर रावलाकोट तक — यह समझ चुकी है कि इन मुद्दों को कैसे संबोधित किया जाना चाहिए।”
उन्होंने आगे लोगों से अनुशासित बने रहने और अपने संघर्ष को शांतिपूर्ण ढंग से जारी रखने की अपील की, तथा किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया। AAC नेता ने कहा, “जिन लोगों ने हिंसा का सहारा लिया है चाहे वे रावला से हों या कहीं और से, मैं एक मुसलमान के रूप में दृढ़ता से मानता हूँ कि भले ही वे हमारे साथ न हों, हमें हिंसा के रास्ते पर नहीं चलना चाहिए।” एएसी (AAC) नेता ने कहा, “जिन लोगों ने हिंसा का सहारा लिया है, भले ही उन्हें ऊँचे अधिकारियों द्वारा दंडित न भी किया जाये, अल्लाह का न्याय अवश्य होगा। उसकी लाठी में आवाज़ है, और इंशाअल्लाह, वे अवश्य ही उसके द्वारा दंडित किए जाएंगे।” उन्होंने आगे लोगों से अनुशासित रहने और संघर्ष को शांतिपूर्वक जारी रखने की अपील की।
हालाँकि शीर्ष अधिकारियों और संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (Joint Awami Action Committee) के बीच एक समझौता होने की खबरें हैं, लेकिन स्थानीय जनता के बीच संदेह बना हुआ है। कई लोग प्रधानमंत्री चौधरी अनवर-उल-हक़ की सरकार की ईमानदारी पर सवाल उठा रहे हैं और इस बात पर शंका जता रहे हैं कि क्या प्रशासन अपने वादों को पूरा करेगा या फिर से खोखले आश्वासनों पर निर्भर करेगा।