नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर 2025 ! भारत की राष्ट्रपति, द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को अहमदाबाद में गुजरात विद्यापीठ के 71वें दीक्षांत समारोह की शोभा बढ़ायी।
प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी की पवित्र स्मृति को नमन किया। वे शनिवार को गुजरात विद्यापीठ के 71वें दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि पद से संबोधित कर रही थीं। राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी की ओर से 1920 में स्थापित गुजरात विद्यापीठ में आने पर अपनी खुशी व्यक्त की और दीक्षांत समारोह में उपस्थित जन को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह विद्यापीठ राष्ट्रनिर्माण और आत्मनिर्भरता के जीवंत आदर्श का 105 वर्ष पहले स्थापित किया गया ऐतिहासिक प्रतीक है।
राष्ट्रपति ने गुजरात विद्यापीठ के छात्रों से आग्रह किया कि वे इस बात से अवगत रहें कि बापू उनसे राष्ट्रीय पहलों में योगदान की अपेक्षा रखते थे। उन्होंने कहा कि बापू की अपेक्षाओं के अनुरूप, छात्रों को राष्ट्र के विकास से जुड़ी सभी पहलों में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने उन्हें भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेने की सलाह दी।
स्व-रोज़गार की परंपरा गुजरात में लंबे समय से रही है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि पूरे देश में गुजरात की स्व-रोज़गार और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने वाली संस्कृति का प्रसार किया जाना चाहिए।
महामहिम ने विश्वास व्यक्त किया कि गुजरात विद्यापीठ के छात्र इस आत्मनिर्भरता की संस्कृति के अग्रदूत बनेंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाना हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकता है और विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे राष्ट्रीय स्वदेशी अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएँ।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा सामाजिक पुनर्निर्माण का सबसे प्रभावी साधन है। उन्होंने गुजरात विद्यापीठ के शिक्षकों और विद्यार्थियों को सलाह दी कि वे इस शैक्षिक उद्देश्य का उदाहरण प्रस्तुत करें। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि चरित्र निर्माण और नैतिक मूल्यों का समावेश शिक्षा के मूलभूत उद्देश्य हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि विद्यार्थी अपनी शिक्षा का व्यावहारिक उपयोग स्थानीय संदर्भों से जोड़कर कर सकते हैं।
इस कार्यक्रम से पूर्व महामहिम राष्ट्रपति ने द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन और आरती की।