चीन में हुआ हिंदी का प्रसार !

शंघाई (चीन), 14 अक्टूबर 2025 ! भारत के चीन में राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने शंघाई में प्रतीक माथुर, कॉन्सुल जनरल ऑफ़ इंडिया (CGI ) जो भारत के महा-वाणिज्यदूत का कार्यभार भी सँभाल रहे हैं, के साथ मिलकर ब्रिटानिका इंटरनेशनल स्कूल (BIS ) की भव्या मेहता को सम्मानित किया। यह अवसर इस बात का प्रतीक था कि चीन में पहली बार स्कूल स्तर पर हिंदी को औपचारिक रूप से पढ़ाया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश कि यह पहल विश्वविद्यालयों से आगे बढ़कर भाषा के प्रसार को स्कूल स्तर तक ले जाती है।

भव्या मेहता, जो बी.आई.एस. (BIS) में हिंदी कार्यक्रम का नेतृत्व कर रही हैं, कीर्ति चक्र पुरस्कार से सम्मानित ब्रिगेडियर रवि दत्त मेहता की पुत्री हैं। भारतीय भाषा और संस्कृति को विदेश में बढ़ावा देने के उनके प्रयासों को “भारत की भाषाई विरासत के लिए गर्व का क्षण” बताया गया।

एक्स (X) पर की गयी एक पोस्ट में ‘इंडिया इन शंघाई’ ने लिखा —“चीन में हिंदी शिक्षण की जड़ें जमायीं — एक साँस्कृतिक मील का पत्थर। #Catchthemyoung”।

भव्या मेहता, प्रतिष्ठित ब्रिटानिका इंटरनेशनल स्कूल की अध्यापिका हैं — यह उस क्षेत्र का पहला स्कूल है जिसने अंतरराष्ट्रीय स्कूल नेटवर्क के अंतर्गत छोटे विद्यार्थियों के लिए हिंदी शिक्षण की शुरुआत की है।

यह बात जानने योग्य है कि यह एक अंतरराष्ट्रीय ब्रिटिश स्कूल है, जो अंग्रेज़ी नेशनल पाठ्यक्रम (English National Curriculum) अपनाता है। यह “British schools overseas” के तहत मान्यता प्राप्त है। इसमें IGCSE और A लेवल, यानि नर्सरी से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर तक का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है।

पोस्ट में कहा गया —“यह भारत की भाषायी विरासत और विदेशों में बढ़ते साँस्कृतिक प्रभाव के लिए गर्व का क्षण है। यह और भी विशेष है क्योंकि श्रीमती मेहता भारत के युद्ध नायक, कीर्ति चक्र विजेता ब्रिगेडियर रवि दत्त मेहता की पुत्री हैं। ब्रिटानिका इंटरनेशनल स्कूल (BIS) में प्राथमिक स्तर पर हिंदी शिक्षण की शुरुआत अब उन चीनी विश्वविद्यालयों में हिंदी शिक्षण की परंपरा से जुड़ती है, जहाँ यह पहले से ही चल रहा है — जैसे फुदान, SISU, त्सिंगहुआ और पेकिंग विश्वविद्यालय।”

हाल के वर्षों में, चीन में हिंदी के प्रति अकादमिक रुचि तेजी से बढ़ी है, विशेष रूप से उन विश्वविद्यालयों में जिनके पास मजबूत भाषा और अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विभाग हैं। स्कूल के पाठ्यक्रम में हिंदी को शामिल किए जाने से दीर्घकालिक भाषा अध्ययन और सांस्कृतिक समझ के नये अवसर खुल गये हैं, जिससे भारत-चीन के बीच साँस्कृतिक और शैक्षिक संबंध और भी मजबूत होंगे।

शंघाई स्थित भारत के महावाणिज्य दूत, प्रतीक माथुर के अनुसार चीन भी अब भारतीय छात्रों के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करने का एक पसंदीदा गंतव्य बन गया है, विशेष रूप से MBBS पाठ्यक्रमों में।

Bhavya MehtaBISCHINAHindiShanghai