यदि भारत ने विश्व पर इंग्लैंड की तरह साम्राज्य स्थापित किया होता! (भाग – 2) ठाकुर दलीप सिंघ जी

यदि विचार किया जाए: तो आज भी विश्व के सब से बड़े भाग को गुलाम बना करउस पर इंग्लैंडअमरीका आदि के अंग्रेज़ीभाषी लोग ही शासन कर रहे हैं। इस का कारण केवल वही हैजिस का मैं यहाँ उल्लेख कर रहा हूँ : ‘इंग्लैंड का विश्व के लोगों को गुलाम बना करवहाँ अपना साम्राज्य स्थापित करना इंग्लैंड का विश्व पर साम्राज्य स्थापित होने के कारणउन की भाषा संस्कृतिविश्व भर में प्रचलित हो करसर्वमान्य हो गई है और लोगों ने भी अवचेतन मन से हीअपनी मातृभाषा संस्कृति छोड़ करउन की भाषा संस्कृति को धारण कर लिया है। यहाँ तक कि फ्रांसस्पेन आदि ने जिन देशों पर शासन किया थाभले ही वहाँ फ़्रांसीस्पेनी भाषाएं चलती हैंउन देशों का भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेज़ी के बिना राजनीतिक संबंधव्यापार आदि संभव नहीं। आश्चर्य की बात है: रूसफ्राँसजर्मनीचीनजापान आदि जो देश इंग्लैंड के गुलाम नहीं भी हुए तथा जिन की अपनी भाषाएं बहुत समृद्ध हैंउन्हें भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार तथा राजनीतिक संबंध स्थापित करने के लिएअंग्रेज़ीका उपयोग करना ही पड़ता है।

भले ही कई वर्षों से इंग्लैंड का साम्राज्य बहुत देशों पर नहीं रहाफिर भी वहाँ पर उन्हीं की भाषाअंग्रेजीका उपयोग हो रहा है। जहां पर गुलाम बनाने वाले इंग्लैंडफ्रांस आदि देशों की भाषा का प्रत्यक्ष रूप से उपयोग नहीं होतापरंतु वहाँ पर भी उन गुलाम रहे देशों ने अपनी भाषा कोयूरपीन देशों कीलातीनीलिपि में लिखना शुरू कर दिया है। इस प्रकार सेलिपि के रूप में इन अनैतिकअधर्मी देशों की भाषावहाँ पर सदा के लिए स्थापित हो गई है। संभव है: उन देशों की लिपिइन अधर्मी यूरपीय देशों की लिपि जैसी विकसित हो। यदि ऐसा भी थातो उन देशों को इन पापी यूरपीय देशों की लिपि अपनाने की बजाएअपनी नई लिपि बना लेनी चाहिए थी। क्योंकिइन यूरपीय देशों की लिपि अपनाने के कारणउन देशों की अपनी लिपि के जो अक्षर थेवह सदा के लिए लुप्त हो गए हैं। अन्य देशों पर अपना साम्राज्य स्थापित कर केउन्हें गुलाम बनाने वाले इन अधर्मीपापी देशों की लिपि: सदा के लिए उन गुलाम रह चुके देशों की संस्कृति का अभिन्न अंग बन गई है। जैसे: मलेशिया की अपनी लिपिपलावाथी। इंग्लैंड के शासन कारणमलेशिया की अपनीपलावालिपि लुप्त हो करवहाँ अंग्रेजी लिपि(लातीनी रूपांतरण में)प्रचलित हो गई है।मलईभाषा आजकलअंग्रेजीलिपि में लिखी जाने लगी है। इसी तरहवियतनाममें फ्रांसीसी शासन के कारणउन की अपनीवियतनामीभाषा, ‘Chử Khoa Đầu’ की बजायअधिकारित रूप से फ्रेंच (लातीनी रूपांतरण) में लिखी जाने लगी है।

केवल अंग्रेजी ही नहींजहां पर अरबी भाषा वालों ने अपना साम्राज्य स्थापित किया हैवहाँ पर उन का शासन हटने के उपरांत भीउन की लिपि भाषाकिसी किसी रूप में उन देशों में प्रचलित हो गई है। भारत में भीअरबीदेशों के प्रभाव कारणअरबी लिपि आधारित एक नईउर्दूभाषा बन कर स्थापित हो गई है। आम जनता को तो विदेशी भाषा के शब्दों का प्रयोग करते हुए पता ही नहीं चलता। उदाहरण स्वरूप: अरबीभाषा के शब्द औलादअक्लखबरअमीरगरीबमालिकऔरतमुहब्बत आदिभारत में इस तरह प्रचलित हो चुके हैं कि भारतवासियों को पता ही नहीं कि यह विदेशीअरबीभाषा के शब्द हैंभारतीय भाषा के नहीं। इसी तरहसौरीथैंक यूप्लीजसरमैडमरोड आदि शब्दविदेशीअंग्रेजीभाषा के होते हुए भीभारतीय लोगों की बोलचाल का अभिन्न अंग बन गए हैं। इस के विपरीतउपरोक्त प्रचलित विदेशी शब्दों के समानांतरभारतीय भाषाओं के शब्द तो आम जनता भूल चुकी है। जैसे:संतानबुद्धिसमाचारधनीनिर्धनस्वामीनारीप्रेमक्षमाधन्यवाद,  कृपयाश्रीमानश्रीमतीमार्गआदि।

भारतीय भाषा के शब्दों का उपयोग: इंग्लैंडअमरीका आदि यूरपीन देशों में प्रचलित नहीं हुआ। क्योंकिनैतिक धर्मी होने के कारणभारत ने उन देशों को गुलाम बना करवहाँ अपना साम्राज्य स्थापित नहीं किया। जिस कारणभारतीय भाषाएं तो भारत में ही लुप्त हो करसमाप्त होती जा रही हैं। जब कि अनैतिकअधर्मी (दूसरों को गुलाम बनाने वाले) इंग्लैंड की भाषाअंग्रेजी’: पूरे विश्व में प्रफुल्लित हो रही है और बहुत सारे देशों में अधिकारित रूप से अपनाई भी जा चुकी है। जैसे: स्वतंत्र होने के 77 वर्ष उपरांत भी भारत सरकार के सभी कार्यअंग्रेजीमें ही होते हैं। इसी तरहविश्व के 195 देशों में से 55 देशों मेंस्वतंत्र होते हुए भीअधिकारित रूप से सभी सरकारी कार्यअंग्रेजीमें ही होते हैंजब कि, 100 से अधिक देशों में तो अनअधिकारिक रूप से भीअंग्रेजीका उपयोग हो रहा है।उपरोक्त लिखे से यह पूर्णतः प्रत्यक्ष होता हैयदि भारत ने विश्व पर इंग्लैंड की तरह साम्राज्य स्थापित किया होतातो सभी देशों में अधिकारित रूप सेसभी सरकारी कार्यभारतीय भाषा में ही किए जाते”!

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Thakur Dalip Singh Ji