न्यूयॉर्क, 7 दिसंबर 2025 ! भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA) के जनादेश को अगले तीन वर्षों के लिए नवीनीकृत करने के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया।
‘फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों को सहायता’ शीर्षक वाले प्रस्ताव को 151 देशों का समर्थन मिला, जबकि 10 देशों ने इसका विरोध किया और 14 देश मतदान से दूर रहे। UNRWA के आयुक्त-जनरल फिलिप लाज़ारिनी ने इस परिणाम का स्वागत करते हुए कहा कि यह वोट दुनिया भर के लोगों की फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के प्रति व्यापक एकजुटता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की उस जिम्मेदारी की भी पुष्टि करता है जिससे फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों की मानवीय और मानव विकास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके, जब तक कि उनके दशकों पुराने मुद्दों का न्यायपूर्ण और स्थायी समाधान नहीं मिल जाता।
एजेंसी के अनुसार, UNRWA फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों को मानव विकास में उनकी पूरी क्षमता हासिल करने में मदद करता है, जिसके लिए वह शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, राहत और सामाजिक सेवाएँ, संरक्षण, कैंप अवसंरचना और उसका सुधार, माइक्रोफाइनेंस तथा आपातकालीन सहायता जैसी गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ प्रदान करता है।
हालाँकि, इसराइल ने, यह दावा करते हुए कि UNRWA “हमास की सैन्य तैयारी में सहयोगी रहा है,” इस संगठन के पक्ष में इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया है। जनादेश के नवीनीकरण के खिलाफ मतदान करने वाले देशों में अर्जेंटीना, फ़िजी, हंगरी, नॉर्थ मैसिडोनिया, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, पराग्वे, टोंगा और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल थे, साथ ही इसराइल ने भी इसका विरोध किया। 14 अन्य देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया।
पिछले महीने, इसराइल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओरेन मर्मोरस्टीन ने दावा किया था कि हमास के दो सदस्य , अशरफ महद एल मदहौन और मोहम्मद इब्राहिम अब्द ग़फूर उन व्यक्तियों में शामिल थे, जिन्होंने UNRWA के लिए काम किया था।