भारतीय विदेश सचिव की भूटान यात्रा- नरेश और प्रधानमंत्री से भेंट !

थिम्फू (भूटान), 4 अक्टूबर 2025 ! भारत के विदेश सचिव श्री विक्रम मिस्री ने 3 अक्टूबर 2025 को भूटान का दौरा किया। उन्होंने शुक्रवार को भूटान के प्रधानमंत्री त्शेरिंग तोबगे से मुलाकात की तथा रेल के माध्यम सेआपसी जुड़ाव (connectivity) और जलविद्युत (Hydrapower) सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।

इससे पहले, विदेश सचिव मिस्री ने भूटान नरेश  जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक  थिम्पू और भूटान के विदेश मंत्री से भी भेंट की।

आई.ए.एन.ऐस. के द्वारा दिए गए समाचार के अनुसार भूटान में भारतीय दूतावास की तरफ से एक्स पर इस मुलाकात की तस्वीरें साझा कर लिखा, ‘प्रगति और विकास के लिए एक साथ।’ नियमित उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा को बनाए रखते हुए, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने विशेष और बहुआयामी द्विपक्षीय साझेदारी के संपूर्ण पहलुओं पर चर्चा के लिए 3 अक्टूबर 2025 को भूटान का दौरा किया।

दूतावास ने आगे लिखा कि अपनी यात्रा के दौरान, विदेश सचिव ने महामहिम नरेश से मुलाकात की और भूटान के प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री से मुलाकात की।

वहीं भूटान के पीएम ने भी अपनी प्रतिक्रिया में लिखा, मुझे कल भारत सरकार के विदेश सचिव, महामहिम विक्रम मिस्री से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने भूटान और भारत के बीच संपर्क, जलविद्युत, लोगों के बीच संबंधों और व्यापार एवं वाणिज्य सहित विभिन्न पारस्परिक हितों पर चर्चा की।

बता दें, भारत और भूटान के बीच रेलवे कनेक्शन की शुरुआत होने जा रही है। इसे लेकर सोमवार, 29 सितंबर को भारत सरकार ने 69 किलोमीटर और 20 किलोमीटर लंबी दो सीमा पार रेलवे परियोजनाओं की घोषणा की। यह रेल लाइन भूटान को असम और पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों से जोड़ेंगी। 69 किलोमीटर लंबी कोकराझार (असम)-गेलेफू (भूटान) और 20 किलोमीटर लंबी बनारहाट (पश्चिम बंगाल)-समत्से (भूटान) रेल लाइन की लागत 3,456 करोड़ रुपये और 577 करोड़ रुपये होगी।

यह घोषणा रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संयुक्त रूप से की। बाद में, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सतीश कुमार और भूटान के विदेश सचिव ओम पेमा चोडेन ने रेल संपर्क स्थापित करने के लिए एक औपचारिक अंतर-सरकारी समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये।

बता दें, इस समय भूटान में कोई रेल नेटवर्क नहीं है। गेलेफू और समत्से लाइन पड़ोसी देश में इस तरह की पहली परियोजना होगी। भूटान के साथ भारत के ऐतिहासिक रूप से शांतिपूर्ण संबंधों को देखते हुए, इन दोनों रेल परियोजनाओं से इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता के बीच संबंधों में मजबूती आने और पूरे क्षेत्र में व्यापार बढ़ने की उम्मीद है।

भारत और भूटान के बीच नियमित उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा रही है। भारतीय विदेश सचिव की यह नवीनतम यात्रा ऐसे समय में हुई है जब दोनों पक्ष ऊर्जा, बुनियादी ढाँचे और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्र में अपने गहरे संबंधों को और मज़बूत करते हुए सहयोग के नये रास्ते तलाश रहे हैं।

विदेश मंत्रालय ने कहा , “भारत और भूटान के बीच अद्वितीय और अनुकरणीय पूर्व संबंध हैं, जो आपसी विश्वास, सद्भावना और समझ पर आधारित हैं। भारत और भूटान के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध 1968 में स्थापित हुए थे। भारत-भूटान संबंधों की मूल रूपरेखा दोनों देशों के बीच 1949 में हस्ताक्षरित ‘मैत्री और सहयोग संधि’ में निहित है, जिसे फरवरी 2007 में नवीनीकृत किया गया था।”

 

 

 

 

 

 

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