एलोन मस्क के X को कर्णाटक हाई कोर्ट का झटका …

कर्नाटक हाई कोर्ट ने बुधवार को X (पूर्व में ट्विटर) द्वारा केंद्र सरकार के टेक डाउन ऑर्डर को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भारत में काम करने के लिए देश के कानून का पालन करना अनिवार्य है।

बेंगलुरु, 24 सितम्बर 2025 !कर्नाटक हाई कोर्ट ने बुधवार को X (पूर्व में ट्विटर) द्वारा केंद्र सरकार के टेक डाउन ऑर्डर को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भारत में काम करने के लिए देश के कानून का पालन करना अनिवार्य है।

यह मामला भारत में सोशल मीडिया नियमन और ट्विटर (X) के टेकडाउन आदेशों का पालन न करने से जुड़ा है. केंद्र सरकार ने ट्विटर को कुछ अकाउंट्स और पोस्ट ब्लॉक करने के आदेश दिए थे लेकिन X ने केंद्र सरकार के खिलाफ कर्णाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी।

कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया का नियमन आज के समय की आवश्यकता है और कंपनियों को बिना नियंत्रण के काम करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 केवल नागरिकों के लिए स्वतंत्र अभिव्यक्ति की सुरक्षा करता है तथा विदेशी कंपनियों अथवा गैर नागरिकों के लिए इसे लागू नहीं किया जा सकता ।

हाई कोर्ट ने कहा कि ट्विटर अमेरिका में कानून का पालन करता है लेकिन भारत में लागू टेक डाउन आदेशों को मानने से इनकार कर रहा है। अदालत ने आगे यह  भी कहा कि हर प्लेटफार्म जो भारत में काम करना चाहता है उसे देश के कानून से परिचित होना चाहिए।

हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में बिना निगरानी के काम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती और अनियंत्रित ऑनलाइन अभिव्यक्ति कानून की अवहेलना और अराजकता का कारण बन सकती है।

अदालत ने साइबर अपराध से निपटने के लिए सहयोग पोर्टल का भी उल्लेख किया और बताया कि 2011 के श्रेया सिंघल फैसले की तुलना में 2021 के नियमों को अलग व्याख्या की आवश्यकता है।

अदालत ने अमेरिकी न्याय शास्त्र को भारत में लागू करने की बात को भी खारिज किया और कहा कि भारत में नियम और कानून अलग है। हर एक को इसका पालन करना होगा।