
केरल की पोक्सो कोर्ट ने नाबालिग बच्ची से यौन दुराचार के लिए माँ और उसके ‘यार’ को दी 180 साल की सज़ा !
केरल के मलेप्पुरम ज़िले के मंजरि स्थित विशेष ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम’ [Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO)] के अंतर्गत कोर्ट ने मंगलवार को एक माँ और उसके पति-नुमा साथी को अपनी 12 वर्षीय बेटी के साथ लगातार यौन उत्पीड़न के दोषी पाते हुए प्रत्येक को 180 साल का सश्रम कारावास तथा लगभग रु. 11.75 लाख का जुर्माना देने का आदेश दिया है।
कोच्चि मलेप्पुरम (केरल),5 नवंबर 2025 ! केरल के मलेप्पुरम ज़िले के मंजरि स्थित विशेष ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम’ [Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO)] के अंतर्गत कोर्ट ने मंगलवार को एक माँ और उसके पति-नुमा साथी को अपनी 12 वर्षीय बेटी के साथ लगातार यौन उत्पीड़न के दोषी पाते हुए प्रत्येक को 180 साल का सश्रम कारावास तथा लगभग रु. 11.75 लाख का जुर्माना देने का आदेश दिया है।
प्रथम आरोपी (माँ का साथी) पल्लक्कड़ जिले का निवासी है, जबकि दूसरा आरोपी बच्ची की माँ तिरुवनन्तपुरम की रहने वाली है। वर्ष 2019 के अंत (दिसंबर) से अक्टूबर 2021 तक पल्लक्कड़ और मलेप्पुरम के किराये के मकानों में बच्ची के साथ निरंतर यौनदुष्कर्म किया गया। माँ आरोपी के इस अपराध में वृहद् भूमिका निभाते हुए उसके साथ सदा सहयोग करती रही। बच्ची को शराब पिलाना, आपत्तिजनक वीडियो दिखाना, उसे धमकी देना कि उसके दिमाग में सीसीटीवी चिप लगी है जिससे अपराध उजागर हो जाएगा, इत्यादि।
दोनों आरोपियों को 180 साल रिगोरस इम्प्रिजनमेंट की सज़ा सुनायी गयी है तथा प्रत्येक पर लगभग रु 11.75 लाख का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना न देने पर अतिरिक्त 20 महीने की जेल का प्रावधान है। जुर्माना राशि पीड़िता को देने तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पीड़िता सहायता योजना के अंतर्गत अतिरिक्त मुआवजा देने का निर्देश भी अदालत ने दिया है।
यह मामला उस गंभीरता का प्रतिनिधित्व करता है जहाँ एक नाबालिग बच्ची अपने घरेलू परिवेश में ही आजीवन ट्रॉमा झेलती रही। अदालत की यह सज़ा यह संकेत देती है कि ऐसे अपराधों के प्रति न्याय व्यवस्था अब और अधिक सख्त दृष्टिकोण रख रही है।
