सूरत. कपड़ा उद्योग के लिए राज्य सरकार की ओर से नई नीति घोषित करने से कपड़ा उद्योग में जहां खुशी का है, वहीं लंबे समय से मंदी के दौर से गुजर रहे सूरत के हीरा उद्योग में निराशा का माहौल देखने को मिल रहा है। इस दौरान वराछा से भाजपा विधायक कुमार कानानी ने हीरा उद्योग को मंदी से बाहर लाने के लिए राज्य सरकार से हीरा उद्योग के लिए भी पुसी घोषित करने की मांग की है। उन्होंने इसे लेकर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पत्र लिखा है।
कुमार कानानी ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि सूरत के दो प्रमुख उद्योग कपड़ा और डायमंड है। कपड़ा उद्योग के लिए राज्य सरकार ने नई नीति की घोषणा करते हुए इस उद्योग के विकास के लिए नए द्वार खोल दिए हैं। इससे निवेश तो बढ़ेगा साथ ही नए रोजगार पैदा होने की भी उम्मीद है लेकिन हीरा उद्योग की कमर टूटी हुई है। लाखों लोगों को रोजगार देने वाला सूरत का हीरा उद्योग लम्बे समय से मंदी के दौर से गुजर रहा है। कई कारखानों में अवकाश बढ़ा दिए हैं तो इस बार दिपावली पर हीरा कारीगरों को बोनस भी नहीं मिलने वाला है। कई हीरा कारीगरों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। इससे आर्थिक तंगी का सामना कर रहे कई हीरा कारीगरों ने आत्महत्या कर ली है। टेक्सटाइल पॉलिसी का स्वागत है लेकिन हीरा उद्योग को बचाने और हीरा कारीगरों को आर्थिक तंगी से बाहर लाने के लिए भी राज्य सरकार को सोचना होगा। टेक्सटाइल की तर्ज पर हीरा उद्योग के लिए भी नीति घोषित करने की उन्होंने मांग की।
एक साल में 45 हीरा कारीगरों ने की आत्महत्या
सूरत डायमंड वर्कर यूनियन के मुताबिक हीरा उद्योग में मंदी का हीरा कारीगरों पर गहरा असर पड़ रहा है। कइयों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है तो कई कम वेतन में काम करने को मजबूर हैं। ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। बच्चों की स्कूल फीस और मकान वाहनों की किश्तें भरने तक के उनके पास पैसे नहीं होने से कई निराशा में आत्महत्या कर ले करे हैं। बीते एक वर्ष में शहर में 45 हीरा कारीगरों ने आत्महत्या की है।
आर्थिक पैकेज की लगातार मांग
हीरा उद्योग को बचाने के साथ ही आर्थिक तंगी में फंसे हीरा कारीगरों को मदद के लिए कई बार राज्य सरकार से मदद के लिए गुहार लगाई जा चुकी है। डायमंड वर्कर यूनियन की ओर से जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने के साथ ही मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हीरा उद्योग के लिए आर्थिक राहत पैकेज घोषित करने की मांग की जा चुकी है।