महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस द्वारा भव्य संगीत संध्या में रागोपनिषद् का लोकार्पण

मुम्बई में परम पूज्य गच्छाधिपति जैनाचार्यश्री विजयकल्पतरुसूरीश्वरजी महाराजा के पावन सान्निध्य में भक्ति संगीत संध्या के प्रारंभ में शास्त्रीय संगीत पर आधारित जैन प्राचीन भक्ति गीतों की भव्य पुस्तक रागोपनिषद्एवं उसके संगीत एल्बम का लोकार्पण महाराष्ट्र के लोकप्रिय मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के कर कमलों द्वारा किया गया।

इस अवसर पर संदेश देते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “भारत में सदियों से संगीत की विशिष्ट परंपरा रही है। शास्त्रीय धुनों, संगीत और काव्य सृजन के ज्ञान के माध्यम से भक्त कवियों ने अविस्मरणीय काव्य साहित्य की रचना की है। पूर्व ऋषियों द्वारा रचित तथा आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय तीर्थभद्रसूरीश्वरजी महाराज साहब द्वारा संपादित विविध रागमालाओं का संग्रह रागोपनिषद्पुस्तक प्रकाशित हुई। यह पुस्तक शास्त्रीय रागों-रागिनियों के गहन ज्ञान, वाद्ययंत्रों के चित्रात्मक परिचय, प्राचीन पांडुलिपियों से राग चित्रों तथा रागों के विस्तृत परिचय के लिए उदाहरण के रूप में मध्यकालीन भाषा के छंदों की व्याख्या से समृद्ध और मूल्यवान है। गहन अध्ययन और शोध के आधार पर संकलित यह पुस्तक प्रत्येक संगीत प्रेमी के लिए एक यादगार होगी।”

इस अवसर पर गुजरात राज्य के युवा गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी और महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

इस खंड में विभिन्न कवियों की 958 रचनाएँ हैं। इसमें प्राचीन पांडुलिपियों पर आधारित लगभग विलुप्त हो चुके 126 शास्त्रीय रागों का भी पता लगाया गया है, जिनमें से कुछ 2,500 वर्ष पहले भी लोकप्रिय थे।

इस रागमाला में विभिन्न रागों के लगभग 90 रंगीन चित्र भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें प्राचीन काल से प्रयुक्त 150 संगीत वाद्ययंत्रों का सचित्र परिचय भी दिया गया है।

इस अवसर पर रागोपनिषद् के संपादक परम पूज्य आचार्यश्री विजय तीर्थभद्रसूरीश्वरजी महाराज ने मंगलाचरण करते हुए कहा, ‘परमात्मा महावीर स्वामी भगवान जब समवसरण में विराजमान होकर देश को मालकौंस राग में आशीर्वाद दे रहे थे, तो वहां उपस्थित लोगों के पत्थर जैसे हृदय भी पिघल जाते थे और उनकी आंखों से आंसू बहने लगते थे, ऐसी होती है राग और संगीत की शक्ति।’

आचार्य भगवंत ने कहा कि धर्म शास्त्रों में ईश्वरीय तत्व की प्राप्ति के लिए ज्ञान, कर्म, ध्यान और भक्ति जैसे अनेक योग बताए गए हैं। शास्त्रीय संगीत और भक्ति योग आत्मा के सार, मन और आनंद को प्रकट करने में प्रभावी भूमिका निभाते हैं। आज के विज्ञान ने भी यह सिद्ध कर दिया है कि संगीत के माध्यम से कैंसर जैसी कई असाध्य बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। संगीत न केवल मनुष्यों को बल्कि पशुओं, पक्षियों और पौधों को भी प्रभावित करता है। संगीत सम्राट तानसेन जब गाते थे तो बगीचे में कलियाँ खिल जाती थीं और फूल बन जाती थीं। जब तानसेन तोड़ी राग गाते थे तो जंगल में रहने वाले हिरण वहां आ जाते थे। इस संगीत एल्बम के निर्माण में शास्त्रीय संगीत विशेषज्ञ डॉ. भारत बलवल्ली द्वारा किया गया अथक प्रयास सराहनीय है। अखिल भारतीय गंधर्व महाविद्यालय ने अपने पाठ्यक्रम में रागोपनिषद्को शामिल करने का निर्णय लिया है।

अंत में आचार्य भगवंत ने कहा, “परम पूज्य गच्छाधिपति आचार्यश्री विजयकल्पतरुसूरीश्वरजी महाराजा साहब के आशीर्वाद से ही हमारा कार्य सफल हुआ है।”

इस अवसर पर 6 आचार्य भगवंत एवं लगभग 100 पूज्य साधु-साध्वीजी भगवंत उपस्थित थे।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने रागोपनिषद्का लोकार्पण करते हुए कहा, “यह मेरे लिए खुशी की बात है कि मुझे ऐसी पुस्तक और संगीत एल्बम का लोकार्पण करने का सौभाग्य मिला है जिसमें भारत के संगीत साहित्य में विलुप्त हो चुके प्राचीन रागों को पुनर्जीवित किया गया है। भारत में शास्त्रीय संगीत का जन्म सामवेद से हुआ। सामवेद की धुनें इस प्रकार रची गई थीं कि उन्हें शास्त्रीय रागों के अनुकूल बनाया जा सके।”

देवेन्द्र फडणवीस ने कहा, “नेता जो राजनीति करते हैं और संगीतकार जो संगीत करते हैं, दोनों का उद्देश्य लोगों को लाभ पहुंचाना होता है। संगीत में शरीर और मन की बीमारियों को ठीक करने की शक्ति है। तुम यमन कल्याण का गीत गाते हो, हम लोक कल्याण करते हैं। रागोपनिषद् राग के क्षेत्र में एक नया उपनिषद् सिद्ध होगा।”

इस संगीतमय प्रयास के पीछे प्रसिद्ध संगीतकार स्वराधीश डॉ. भरत भलवल्ली, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति है। रागोपनिषद् संगीत एल्बम में भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक शामिल हैं, जिनमें उस्ताद राशिद खान, पंडित उल्हास कशालकर, सुरेश वाडकर, सोनू निगम, शंकर महादेवन, जसपिंदर नरूला, जावेद अली, कौशिकी चक्रवर्ती, डॉ. इस सूची में अश्विनी भिड़े, पंडित वेंकटेश कुमार, पंडित शौनक अभिषेक, पंडित रघुनंदन पणशीकर, पंडित राम देशपाडी, उस्मान मीर, फाल्गुनी पाठक, राहुल देशपांडे, देवकी पंडित, पंडित जयतीर्थ मेवुंदी, आरती अंकलीकर, पंडित आनंद भाटे और पंडित संजीव अभ्यंकर शामिल हैं।

शनिवार को रागोपनिषद् के लोकार्पण हेतु आयोजित संगीत संध्या में डा. भरत बलवल्ली के अलावा पद्मश्री गायक अश्विनी भिड़े जोशी, पंडित आनंद भाटे, पंडित जयतीर्थ मेवुंदी, श्रीमती मंजूश्री पाटिल और अमित पाध्ये ने उपस्थित संगीत प्रेमियों को भक्ति रस में सराबोर कर दिया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने डॉ. भरत बलवल्ली को ‘नाददेव परमहंस’ की उपाधि प्रदान की गई।