मोरक्को के अलकेमिस्ट यूसुफः फर्श से अर्श तक की यात्रा

मोरक्को के तपते रेगिस्तान से दृढ़ता और दूरदर्शिता की एक अनूठी मिसाल सामने आई है। खानाबदोश बर्बर जनजाति से आने वाले यूसुफ ने बचपन के एक सपने को अपनी लगन से हकीकत में बदल कर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। मोरक्को के सूखे इलाकों में पशु चराने से लेकर होस्पिटालिटी इन्डस्ट्री में अपना सिक्का जमाने तक का उनका सफर एक फिल्मी कहानी से कम नहीं है।

एक जगह से दूसरी जगह पशुओं के साथ घूमते बनज़ारों के परिवार में पले-बढ़े यूसुफ के जीवन में जीवित रहने का संघर्ष ही मुख्य चुनौती थी । शिक्षा तो एक असंभव विलासिता की तरह थी । किन्तु उनके पिता ने पशुधन बेचकर भी यूसुफ और उनके भाई के स्कूल जाने का का प्रबंध किया, जो एक अकल्पनीय त्याग था।

एक महत्वपूर्ण क्षण ने यूसुफ को एक ऐसे रास्ते पर ला खड़ा किया जिसने न केवल उनके जीवन बल्कि उनके समाज की भी पहचान बदल दी।
यूसुफ के सपने की शुरुआत उनके बचपन की एक छोटी किंतु बड़ी मार्मिक घटना से हुई थी । एक होटल मालिक उनके परिवार को होटल का बचा हुआ खाना देता था। उदारता के इस कार्य को देखकर यूसुफ को एक दिन अपना खुद का होटल बनाने की प्रेरणा हुई । यही था एक सपना जिसे उन्होंने वर्षों की कड़ी मेहनत और अथक समर्पण के माध्यम से पूरा किया।

2008 में, अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, यूसुफ ने एक टूर कंपनी की स्थापना की जिसका कार्य अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को मोरक्को की मनमोहक सुंदरता की तरफ खींच लाना था। इस कंपनी की कमाई से जो बचत हुई उससे यूसूफ में अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होने का हौंसला मिला।

 

ऐसा नहीं था कि उनकी यात्रा में बाधाऐं नहीं थी। वर्ष 2012 में यूसुफ ने अपने गांव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए वहां वंचित बच्चों के लिए एक स्कूल की स्थापना की परंतु यह कार्य बड़ा चुनौतीपूर्ण रहा। इस दौरान उन्होंने थाईलैंड में एक चुनौतीपूर्ण नौकरी करनी पड़ी किंतु उन्होने अपने संकल्प को अपनी नज़रों से कभी भी ओझल नहीं होने दिया ।

जब कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने उनकी योजनाओं में रोड़ा अटकाया फिर भी यूसुफ ने उम्मीद नहीं खोई। अंत में अपने संकल्प के अनुसार उन्होने अपना सपना मेरज़ौगा में एक होटल खोलकर पूरा किया । पारंपरिक मोरक्कन वास्तुकला से सज्ज तमाम आधुनिक ऐशो आराम की अनुपम मिसाल कहे जाने वाले इस होटल ने विश्व स्तरीय आतिथ्य के लिए जल्दी ही अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त कर ली।

आज, यूसुफ़ एक बड़े होटल के सफल मालिक होने के साथ-साथ कई लोगों के लिए प्रेरणा के प्रतीक भी हैं। उनके लिए होस्पिटालिटी का अर्थ है – अतिथियों के प्रति सच्चाई और कृतज्ञता, जो उन्हे गहराई से जोड़ता है। यूसुफ़ के लिए सफलता का मापदंड सिर्फ़ बिज़नेस ग्रोथ ही नहीं बल्कि लोगों के साथ बनते सार्थक संबंध और विश्वास भी है।

यूसुफ़ जैसे-जैसे अपने उम्र के चौथे दशक में पहुँच रहे हैं, उन्हे अपनी यात्रा पर गर्व और संतोष है। अपने नाम पर दो सफल उपक्रम जोड़ने के बाद अब जल्दी सेवानिवृत्ति की योजना बना रहे हैं, जिससे अपना समय दूसरों को अपने सपनों का पीछा करने के लिए प्रेरित करने में दे सकें। यूसुफ़ की यह कहानी आशा की किरण है – जो बताती है कि दृढ़ संकल्प और त्याग से सभी सपने पूरे हो सकते हैं, चाहे वह कितने ही बड़े या असंभव क्यों न हों।