चाहें वो हिंदी की कवितायें हों या अंग्रेजी की, नीलम सक्सेना चंद्रा एक ऐसा जाना-पहचाना नाम है, जो आज के युग में साहित्यिक क्षेत्र में हर तरफ़ छाया हुआ है| इनकी अनेकोअनेक उपलब्धियां हैं, और कई किताबों पर इनका नाम नज़र आता है| अब तक इनकी ७३ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं| यह सिर्फ कवितायें ही नहीं लिखतीं, इनके उपन्यास और कहानियां भी काफी मशहूर हैं| इनमें से कई अमेज़न में बेस्ट-सेलर की लिस्ट तक पहुंची हैं| इनकी बच्चों की कहानियाँ भी बहुत सराही जाती हैं और इनकी एक चित्रकथा का करीब छह भाषा में भाषांतरण किया गया है|
राष्ट्रीय स्तर पर तो नीलम ने कई पुरस्कार हासिल किये ही हैं जिसमें अमेरिकन एम्बस्सी और आरुषी द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में गुलज़ार साहब द्वारा पुरस्कार, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य समिति द्वारा पुरस्कार, चिल्ड्रेन बुक ट्रस्ट द्वारा पुरस्कार, रेल मंत्रालय द्वारा प्रेमचंद पुरस्कार आदि शामिल हैं| नीलम को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भी कई पुरस्कार हासिल हुए हैं जैसे नेशनल अलायन्स ऑफ़ मेंटल हेल्थ, अमेरिका द्वारा काव्य प्रतियोगिता में पुरस्कार, ज्हेंग निआन कप, रुएल अंतराष्टीय लाइफ टाइम पुरस्कार इत्यादि| आपके नाम पर लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में तीन बार रिकॉर्ड दर्ज हैं| फोर्ब्स ने भी २०१४ में ७८ लोकप्रिय लेखकों की सूची में आपको शामिल किया था|
नीलम ने एक नया काव्य संग्रह प्रकाशित किया है जिसका नाम है तिलिस्म-ए-ज़िंदगी जिसमें हिन्दुस्तानी भाषा में ५० कवितायें हैं| जब नीलम से पूछा गया कि यह काव्य संग्रह किस विषय पर आधारित है, तो उन्होंने कहा, “ज़िंदगी मानो तिलस्म है| इसकी लिखाई कहाँ कभी किसी को समझ आई है? अक्सर आदमी सोचता है कि लिखावट यह कहती है, पर होता कुछ और ही है! ज़िंदगी के क़दम किस ओर जायेंगे यह कोई नहीं जानता! कभी-कभी तो लगता है कि इसकी लिखावट को जानने की कोशिश ही नहीं करनी चाहिए| उसको ख़ामोश-सा अपनी दिशा में चलने देना चाहिए, और जो पल हैं, उनमें मुस्कुराते रहना चाहिए| ज़िंदगी के इन रहस्यों को खोजने की मुसलसल कोशिश करती हुई है यह पुस्तक!”
नीलम से आगे पूछा गया कि वो क्या ख़ास बात थी जिसने इन्हें यह संग्रह लिखने की प्रेरणा दी, तो उन्होंने कहा, “कवितायें अक्सर ख़ुद के एहसासों पर आधारित होती हैं| उस वक़्त जब यह कवितायें लिखी गयी, कुछ विशेष घटनाएं घटित हो रही थीं, जिनमें पहली घटना थी कोरोना काल की दूसरी लहर जो अपने साथ कई विपदाएं लेकर आई थी| न जाने कितने लोगों की जानें जा रही थीं| दूसरी बात थी कि उनकी माँ की तबियत पहली बार बहुत खराब हो गयी थी और नीलम उससे अत्याधिक प्रभावित थीं| उसके पश्चात दिसम्बर २०२३ में वो भगवान् को प्रिय हो गयीं| यह पुस्तक उनकी माँ और माँ की सबलता को समर्पित है| तीसरी बात यह थी कि उनकी कोई करीबी जानकार की ज़िंदगी में उथल-पुथल चल रही थी और वो नीलम की कविताओं से बहुत प्रभावित होकर ज़िंदगी में उजाले खोजती थी|”
उन्होंने आगे बताया, “इसके अलावा जब मेरी पोस्टिंग दिल्ली में थी, मैं उन एतिहासिक इमारतों से बहुत प्रभावित थी| उनको देखकर ज़िंदगी कुछ रहस्यमयी लगती थी| वो एहसास मैं बटोरे रही, परन्तु वक़्त नहीं मिल पाया उनको डायरी में सजाने का| ज़िंदगी के उन गूढ़ रहस्यों को कोरोना काल में, अकेले में सोचने का बहुत वक़्त मिला और उस सोच ने इस पुस्तक को नए आयाम दिए, और इनका पैमाना बढ़ा दिया| इसका कवर पेज भी निकिता सक्सेना द्वारा लिए गए चित्र पर आधारित है|” यह काव्य संग्रह बहुत ही ख़ूबसूरती से सजाया है हाईब्रो स्क्रिबेस पब्लिकेशन ने|
नीलम से प्रश्न किया गया कि उन्हें कवितायें लिखना ज्यादा पसंद है या उपन्यास तो वो मुस्कुरा दीं| उन्होंने कहा, “लेखक या कवी कभी यह सोचकर नहीं लिखता कि वो क्या लिखेगा| जो उसका मन करता है वो उसी दिशा में बढ़ जाता है| एहसास का बहाव नदिया की तरह होता है, उसे तो बहना ही है!”
नीलम की कुछ पुस्तकों का विमोचन नेशनल सेंटर फॉर परफोर्मिंग आर्ट्स में हुआ है, और इस बार यह त्रिवेणी के रूप में होगा, जिसमें कविता, पेंटिंग एवं कत्थक नृत्य का संगम है| नीलम की पुस्तक की कुछ कविताओं पर स्टेज पर पेंटिंग बनायेंगे कप्तान आशीष पन्नासे और नीलम की ही तीन कविताओं पर कत्थक पस्तुत करेंगी आमना की तरफ से अर्पणा राव, नंदिता एवं पूजा शाह| इसके अलावा अनूप पांडे, अनुप जालान, शेओ नाथ, जूही गुप्ते और पूर्णा शाह भी अपनी कवितायें प्रस्तुत करेंगी| यह सभी कवी लिटरेरी वारियर ग्रुप से ताल्लुक रखते हैं, जिसकी फाउंडर नीलम हैं| प्रोग्राम का संचालन नेशनल सेंटर फॉर परफोर्मिंग आर्ट्स से सुजाता जाधव करेंगी|
श्री सिद्धार्थ देशपांडे, चीफ फाइनेंसियल ऑफिसर, NCPA इस मौके पर विशिष्ठ अतिथि होंगे|
इस प्रोग्राम को देखने के लिए “बुक माय शो” पर बुक किया जा सकता है| प्रवेश निशुल्क है, परन्तु बुक करना अनिर्वाय| त्रिवेणी का आयोजन नेशनल सेंटर फॉर परफोर्मिंग आर्ट्स, मुंबई में १३ फरबरी को ६:३० पर है|